माँ कालरात्रि की कथा

नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। इनका नाम ही दर्शाता है कि ये अंधकार का नाश करने वाली देवी हैं। माँ के केश बिखरे हुए हैं और गले में हड्डियों की माला है। माँ कालरात्रि के नाम से हमें माँ के रूप के भयानक होने का पता चलता है।

माँ कालरात्रि की कथा

Maa Kalratri ki katha- एक बार दानवों के राजा शुम्भ-निशुम्भ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में आतंक मचा दिया। देवताओं को उनके अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए माँ दुर्गा ने राक्षसों से युद्ध किया।

जब रक्तबीज नामक असुर से माँ दुर्गा लड़ रही थीं, तो उन्होंने देखा कि जैसे ही उस राक्षस के रक्त बूँद नीचे गिरती है, उसके खून की एक-एक बूंद से नया रक्तबीज जन्म ले लेता।

यह देखकर देवता चिंतित हो गए। तब माँ दुर्गा ने अपने प्रचंड और भयंकर रूप में माँ कालरात्रि को प्रकट किया।

माँ कालरात्रि ने अपने विकराल रूप से पूरे युद्ध क्षेत्र को आच्छादित कर लिया। उनकी भयंकर गर्जना से सभी दानव भयभीत हो गए।

माँ कालरात्रि रक्तबीज के शरीर से निकलने वाली रक्त की हर एक बूँद को अपने मुंह में भर्ती चली गयीं। जिससे हर बूँद जमीन पर गिरने के साथ ही हर बार नए रक्तबीज का जन्म होना बंद हो गया और माँ दुर्गा ने रक्तबीज का वध कर दिया।

इस प्रकार रक्तबीज का अंत हुआ और देवताओं को इस दानव से मुक्ति मिली। इसके बाद माँ ने शुम्भ और निशुम्भ को भी परास्त किया, जिससे देवताओं को पुनः स्वर्ग का राज्य प्राप्त हुआ।

पौराणिक वर्णन के अनुसार माँ कालरात्रि का वर्ण घोर अंधकार के समान काला है। इनकी आँखों से भयंकर चमक निकलती है।

माँ के केश बिखरे हुए हैं और गले में हड्डियों की माला पहनी हुई है। इनके दस हाथ हैं, जिनमें शस्त्रों के साथ त्रिशूल, तलवार, गदा, शंख, चक्र और धनुष-बाण आदि हैं। माँ कालरात्रि गर्दभ की सवारी करती हैं।

माँ का रूप भले ही भयानक हो लेकिन माँ सदैव शुभ फल देने वाली है। इसीलिए माँ कालरात्रि को शुभंकरी नाम से भी जाना जाता है।

पुराणों में बताया गया है कि माँ कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्माण्ड की सारी सिद्धियों के द्वार खुल जाते है। सभी तरह की आसुरी शक्तियां और नकारात्मक ऊर्जाएं माँ कालरात्रि के नाम से भयभीत होकर दूर भाग जाती हैं।

माँ ग्रह-बाधाओं को भी दूर करती हैं। माँ की कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है।

भक्तों की रक्षा करने वाली माँ कालरात्रि

माँ कालरात्रि भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें सभी भयों से मुक्ति दिलाती हैं। इनकी पूजा करने से भक्तों को अंधकार, अज्ञान, रोग और मृत्यु के डर से मुक्ति मिलती है।

माँ कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए और उनके मन्त्रों का जाप करना चाहिए।

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माँ कालरात्रि की महिमा अपरम्पार है। आइए हम सभी उनकी भक्ति करें और उनसे अपने जीवन में सुख-समृद्धि और सुरक्षा की प्रार्थना करें।

माँ कालरात्रि के कुछ प्रसिद्ध मन्दिर

  • माँ कालरात्रि मन्दिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
  • माँ कालरात्रि मन्दिर, देवास, मध्य प्रदेश
  • माँ कालरात्रि मन्दिर, गुजरात
  • माँ कालरात्रि मन्दिर, पश्चिम बंगाल

आप इन में से किसी भी मन्दिर में जाकर माँ दुर्गा के कालरात्रि रूप के दर्शन कर सकते हैं।

(Disclaimer: The material on hindumystery.com website provides information about Hinduism, its traditions and customs. It is for general knowledge and educational purposes only.)

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