मासिक कार्तिगाई का व्रत भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह त्योहार मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और श्रीलंका में तमिल हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। यह व्रत हर महीने कृत्तिका नक्षत्र के दिन आता है।

जिस दिन कृतिका नक्षत्र प्रबल होता है उस दिन मासिक कार्तिगाई का यह पर्व मनाया जाता है।
मासिक कार्तिगाई का व्रत
मासिक कार्तिगाई का व्रत हर महीने कृत्तिका नक्षत्र के दिन रखा जाता है। दक्षिण भारतीय परंपरा में इस व्रत का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन में आने वाली बाधाएं और परेशानियां दूर होती हैं। यह भगवान मुरुगन की विशेष पूजा का दिन है। इस दिन व्रत और प्रार्थना करने से साधक का मन और आत्मा शुद्ध होते हैं।
मासिक कार्तिगाई व्रत विधि:
- इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर शौचादि से निवृत होकर स्नान कर लें और साफ़ कपड़े पहनें।
- इसके बाद घर के पूजा स्थल को साफ़ करके वहां गंगाजल का छिड़काव करें।
- यदि भगवान् मुरुगन (कार्तिकेय) की तस्वीर न हो तो तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
- अब भगवान् मुरुगन के सामने अपने आसन पर बैठकर सबसे पहले जल आचमन करें।
- जल आचमन करने के बाद भगवान मुरुगन का ध्यान करें और उनके सामने धुप और दीप जलाएं।
- इस दिन घर और मंदिर दोनों स्थानों पर दीप जलाए जाते हैं। कुछ लोग आटे और गुड़ से दीपक बनाकर उसे घी से जलाते हैं।
- अब हाथ में अक्षत ( चावल ), फूल, दक्षिणा के लिए कुछ पैसे और गंगाजल लेकर भगवान् कार्तिकेय से निवेदन करें कि “हे भगवन यदि आपकी पूजा में हमसे कोई कमी रह गयी हो तो हमें क्षमा करें।” हाथ में ली गयी सामग्री को भगवान् के चरणों में अर्पित करें।
- “ॐ सर्वणभवाय नमः” या “ॐ स्कन्दाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- अब भगवान् मुरुगन को लाल पुष्प, केले, गुड़ आदि अर्पित करें।
इस प्रकार भगवान् कार्तिकेय (मुरुगन) की पूजा पूर्ण हुई। इस दिन व्रत रखते समय फलाहार या एक समय भोजन विधि अपनाई जा सकती है।
इस व्रत पूजन का पौराणिक महत्व यह है कि इससे संतान सुख, साहस, स्वास्थ्य, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह व्रत विशेष रूप से तमिलनाडु, केरल, और कर्नाटक में लोकप्रिय है।
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