आयुर्वेद के अनुसार सुबह क्या खाना चाहिए क्यूंकि भोजन केवल पेट भरने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा को संतुलन में रखने का एक साधन है। इसीलिए आज हम इस विषय पर चर्चा करेंगे। आयुर्वेद में भोजन को ‘औषधि’ माना गया है, और इसे शरीर के दोषों वात, पित्त और कफ के अनुसार चुनने और ग्रहण करने की सलाह दी जाती है।

आयुर्वेद के अनुसार सुबह क्या खाना चाहिए
आयुर्वेद सुबह के नाश्ते में सुपाच्य भोजन को सबसे उत्तम बताता है। आयुर्वेद के अनुसार सुबह के समय भीगे हुए मेवे जैसे बादाम, अखरोट और किशमिश लेनी चाहिए। मूंग दाल की खिचड़ी, मौसमी फल, हल्के मसालों के साथ स्थानीय व्यंजन उपमा या पोहा इत्यादि और साथ ही देसी घी का हलवा सुबह के समय खाना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार सुबह खाली पेट खाने के लिए यह सबसे पौष्टिक नाश्ता है। आयुर्वेद कहता है सुबह का नाश्ता दिन का एक महत्वपूर्ण भोजन है। नाश्ता ऐसा होना चाहिए जो पौष्टिक हो, पचने में आसान हो और आपको दिन भर के लिए ऊर्जा दे।
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आयुर्वेद के अनुसार सुबह भोजन के नीयम
सुबह का भोजन ताज़ा और गर्म होना चाहिए। ठंडा भोजन जैसे ठंडा दूध, ठंडा स्मूदी आदि सुबह की मंद अग्नि को और कमजोर कर सकता है। जबकि गर्म भोजन पाचन को उत्तेजित करता है।
सबह का भोजन हल्का और सुपाच्य होना चाहिए। यह बहुत भारी नहीं होना चाहिए, आसानी से पचने वाला होना चाहिए।
नाश्ते का चुनाव करते समय पौष्टिकता का भी ध्यान रखना चाहिए। नाश्ते से शरीर को पोषण मिलना चाहिए ताकि दिन की शुरुआत अच्छी हो।
शरीर की प्रकृति के अनुसार
आयुर्वेद में उल्लेख किया गया है कि मनुष्य के शरीर में तीन दोष होते हैं वात, पित्त और कफ। मनुष्य को होने वाले लगभग सभी रोग वात, पित्त और कफ में होने वाले असंतुलन के कारण ही होते हैं।
हर मनुष्य के शरीर की प्रकृति ऊपर बताये गए तीन दोषों के अनुसार ही होती है जैसे वात प्रकृति, पित्त प्रकृति और कफ प्रकृति।
जिस व्यक्ति के शरीर में वात की प्रधानता अधिक होती है उसका शरीर वात प्रकृति का होता है। इसी प्रकार जिस व्यक्ति के शरीर में पित्त अर्थात गर्मी अधिक होती है उसका शरीर पित्त प्रकृति का होता है और जिस व्यक्ति के शरीर में कफ की प्रधानता होती उसका शरीर कफ प्रकृति का होता है।
आयुर्वेद के अनुसार सुबह क्या खाना चाहिए यह हर व्यक्ति के शरीर की वात, पित्त या कफ प्रकृति के अनुसार तय किया गया है। शरीर की प्रकृति के अनुसार किया गया नाश्ते का चुनाव एक दूसरे से थोड़ा अलग हो सकता है।
वात प्रकृति: इन्हें गर्म, पौष्टिक और थोड़ी नमी वाले नाश्ते की आवश्यकता होती है।
पित्त प्रकृति: इन्हें हल्का ठंडा या गुनगुना, थोड़ा भारी लेकिन बहुत ज्यादा तैलीय या मसालेदार नहीं, ऐसा नाश्ता करना चाहिए।
कफ प्रकृति: इन्हें गर्म, हल्का, सूखा और थोड़ा मसालेदार नाश्ता करना चाहिए ताकि सुस्ती दूर हो और चयापचय उत्तेजित हो।
सुबह क्या खाने से बचें:
ठंडा भोजन: सुबह बहुत अधिक ठंडी चीजें नहीं खानी चाहिए जैसे आइसक्रीम, ठंडा दूध, ठंडी स्मूदी इत्यादि।
अत्यधिक मीठा: बहुत अधिक चीनी वाले खाद्य पदार्थ।
भारी और तला हुआ भोजन: सुबह के समय भारी और तला हुआ भोजन करने से बचना चाहिए जैसे परांठे, पूड़ी, कचौरी आदि।
दही: आयुर्वेद के अनुसार, सुबह दही खाने से कफ बढ़ सकता है। कफ प्रकृति वाले लोगों को इसका विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। खासकर यदि मौसम ठंडा हो और आपकी कफ प्रकृति हो तो सुबह के समय खाया गया दही आपको परेशान कर सकता है।
प्रोसेस्ड फूड: सुबह के समय प्रोसेस्ड फूड, Ready to eat food खाने से बचना चाहिए
ये सामान्य दिशानिर्देश हैं जिसमे हमने आपको बताया है आयुर्वेद के अनुसार सुबह खाली पेट क्या खाना चाहिए। आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति और पाचन शक्ति के आधार पर सबसे अच्छा नाश्ता क्या है, यह जानने के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा सर्वोत्तम होता है।
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आयुर्वेद के अनुसार सुबह क्या खाना चाहिए
आयुर्वेद के अनुसार सुबह खाली पेट क्या खाना चाहिए