नवरात्र में कन्या पूजन कब करना चाहिए|कन्या पूजन का समय और सही विधि

माँ के भक्तों द्वारा नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। किन्तु इन 9 दिनों में कन्या पूजन कब करना चाहिए। कौनसा दिन कन्या पूजन के लिए सबसे श्रेष्ट है और कन्या पूजन विधि क्या है इन सभी प्रश्नों को लेकर माँ के भक्त सदैव असमंजस की स्थिति में रहते हैं।

कन्या पूजन कब करना चाहिए

नवरात्र में कन्या पूजन अनुष्ठान में, नौ कन्याओं को आमंत्रित किया जाता है और उन्हें मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। कन्याओं को आदर और सम्मान के साथ भोजन कराया जाता है, और उन्हें उपहार और दक्षिणा दी जाती है।

नवरात्री के 9 दिनों में से कोई भी दिन शुभ है किन्तु मुख्य रुप से नवमी और अष्टमी के दिन को कन्या पूजन के लिए श्रेष्ट माना जाता है। बहुत से लोग जो पुरे नवरात्रे व्रत का पालन नहीं कर पाते वे नवरात्री की सप्तमी तिथि को व्रत रखकर अष्टमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं।

कई लोग अपनी परम्पराओं के अनुसार अष्टमी पर देवी माँ के साथ अपनी कुलदेवी की भी पूजा करते हैं और कन्यायों का पूजन करते हैं।

कन्या पूजन विधि

अष्टमी या नवमी यदि आप किसी भी दिन कन्या पूजन कर रहे हैं तो अष्टमी या नवमी के अनुसार ही माँ महागौरी की पूजा या फिर माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि पूर्वक पूजा कर लीजिये। इसके बाद कन्यायों को बुलाकर कन्या पूजन कीजिये।

कन्या पूजन की विधि :

  • 9 कन्याओं को आमंत्रित करें और उन्हें आदर-सत्कार से बैठाएं। यदि 9 कन्यायें उपलब्ध न हों तो 1, 3, 5, 7, 9 की संख्या में भी आप कन्या पूजन कर सकते हैं।

  • सबसे पहले अपने हाथों से से सभी आमंत्रित कन्यायों के पैर धुलायें। और सभी कन्यायों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें।

  • एक स्वच्छ आसन लगाकर वहां कन्यायों को बैठाइये।

  • कन्या पूजन के समय कन्यायों के साथ एक बालक का होना भो जरूरी है। लंगूर, लांगूर, लांगुरिया, बटुक भी कहा जाता है। बटुक भगवान भैरव का सौम्य रूप माने जाते हैं

  • कन्याओं के माथे पर अक्षत, रोली का टीका लगाएं। उनके हाथों में मौली ( कलावा ) बांधें।

  • उन्हें माँ की लाल चुनरी ओढ़ाएं।

  • कन्याओं को हलवा, पूरी, चने और नारियल का भोजन कराएं।

  • कन्याओं को दक्षिणा और उपहार दें। उपहार में कन्यायों को श्रृंगार का सामान भी दिया जा सकता है। इसके अलावा आप उन्हें रोज़ इस्तेमाल होने वाली चीज़ें जैसे पानी की बोतल, स्टेशनरी किट, हेयर एक्सेसरीज आदि वस्तुएं भी दे सकते हैं।

  • अंत में कन्यायों के पैर छूकर से आशीर्वाद लें। माता रानी का ध्यान करते हुए कन्या पूजन में हुई किसी भी प्रकार की भूल चूक के लिए माफ़ी मांगे। और कन्यायों को विदा करें।

कन्या पूजन में दक्षिणा देने का महत्व :

  • पूजन के बाद कन्यायों को दक्षिणा देने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं।

  • दक्षिणा देने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

  • घर से पितृदोष दूर होता है।

कन्या पूजन एक बहुत ही शुभ और पवित्र कार्य है। कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।

यह अनुष्ठान यह भी दर्शाता है कि हिंदू धर्म में बालिकाओं को बहुत महत्व दिया जाता है।

FAQ – Frequently Asked Questions

Q – कन्या पूजा गिफ्ट्स।

स्टेशनरी किट, लंच बॉक्स, पानी की बोतल, हेयर एक्सेसरीज इनके साथ ही कन्यायों को उनके रोज़मर्रा के काम आने वाली और भी वस्तुएं दी जा सकती हैं। मान्यताओं के अनुसार कन्यायों को लाल कपड़ा देना भी बहुत शुभ होता है।

Q – कन्याओं को दक्षिणा में क्या देना चाहिए ?

कन्याओं को दक्षिणा में 11, 21, 51, 101 रूपए की दक्षिणा अपनी क्षमता के अनुसार दे सकते हैं।

(Disclaimer: The material on hindumystery website provides information about Hinduism, its traditions and customs. It is for general knowledge and educational purposes only.)

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