
नवरात्री के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि के अनुसार करी जाती है और भक्त माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भक्त इस दिन माँ का व्रत रखते हैं और सिद्धिदात्री माता की कथा कहते / सुनते हैं। माँ सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियों की दाता माना जाता है। वे भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं।
माँ सिद्धिदात्री का स्वरुप
माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। उनकी दाहिनी तरफ के ऊपर वाले हाथ में सुदर्शन चक्र है, दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में गदा है, बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में शंख, और बाईं तरफ के नीचे वाले हाथ में कमल रहता है। वे कमल के फूल पर विराजमान हैं। मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर लाल साड़ी में विराजमान हैं। माँ के सिर पर एक ऊंचा मुकुट है।
माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि
नवरात्री का नौवां दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है। इसीलिए इस माता सिद्धिदात्री के नाम से व्रत, पूजा, आरती इत्यादि किया जाता है। इनकी पूजा से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि :
पूजा करने से पूर्व पूजा के लिए आवश्यक सामग्री एकत्र कर लेनी चाहिए जिससे पूजा बिना रुकावट के संपन्न हो सके।
पूजा सामग्री :
- माँ सिद्धिदात्री की मूर्ति या तस्वीर। यदि यह उपलब्ध न हो तो इसके स्थान पर आप देवी दुर्गा की तस्वीर भी रख सकते हैं।
- फूलों का हार ( साथ ही कुछ खुले फूल ) । माँ सिद्धिदात्री को कमल का फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- अक्षत ( चावल )
- रोली
- धूपबत्ती
- धूप
- दीप
- गंगाजल
- नैवेद्य ( हलवा, चना, पूरी, नारियल )
यह नैवेद्य ही माँ को भोग के लिए अर्पित किया जाता है। और जो बच जाता है वह नैवेद्य, प्रसाद हो जाता है।
पूजा विधि :
- सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठने के बाद शौचादि से निवृत होकर नहा लें। साफ़-स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- सबसे पहले अपने घर के पूजा स्थल को साफ कर लें।
- इसके बाद मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
- देवी माँ के समक्ष आसान ग्रहण करें।
- लोटे का जल में थोड़ा गंगाजल मिला लें।
- इसके बाद जल आचमन करें।
- देवी माँ का आह्वान करें, देवी माँ को याद करें।
- अब दाहिने हाथ में फूल, अक्षत, दक्षिणा के लिए कुछ रूपए और ऊपर से थोड़ा जल डालकर देवी माँ का स्मरण करते हुए माँ से निवेदन करें कि “हे माँ यदि पूजा में हमारी तरफ से कोई कमी रह गयी हो तो हमें माफ़ करें हमारे द्वारा की जा रही पूजा स्वीकार करें।” इसके बाद हाथों की सामग्री को माँ को अर्पित कर दीजिये।
- अब माँ के सामने धूप और दीप जलाएं।
- माँ को नैवेद्य अर्पित करें ( भोग लगाएं ) और माँ से प्रार्थना करें कि “हे माँ हमारे द्वारा अर्पित किया गया भोग स्वीकार करें।”
- इसके बाद अपने और पूजा में उपस्थित सभी लोगों के माथे पर रोली का तिलक लगाएं। तिलक लगाने के लिए अनामिका ऊँगली का इस्तेमाल करें।
- मां सिद्धिदात्री के मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद माँ सिद्धिदात्री के भजन गायें या माँ के भजन मोबाइल में भी चला सकते हैं।
- इसके बाद Maa Siddhidatri Aarti आरती करें।
- प्रसाद बांटें।
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मां सिद्धिदात्री का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु सिद्धिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम: । ।
अर्थ :
"हे देवी, जो सभी प्राणियों में सिद्धि रूप में विराजमान हो, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।"
इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है। वे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त हो जाते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
सिद्धिदात्री देवी का भोग क्या है :
- मां सिद्धिदात्री को हलवा, चना और पूरी का भोग बहुत पसंद है। कहा जाता है कि इन चीजों का भोग लगाने से माँ प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
FAQ – Frequently Asked Questions
Q - माँ सिद्धिदात्री कौन सी देवी हैं ? नवरात्री के 9 दिनों में माँ दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है, और माँ सिद्धिदात्री माँ दुर्गा का ही नौवां रूप हैं।
Q - माँ सिद्धिदात्री को कौन सा रंग पसंद है ? माँ सिद्धिदात्री को बैंगनी रंग प्रिय है इसीलिए नवरात्री के आखिरी दिन बैंगनी रंग के वस्त्र पहनकर माँ सिद्धिदात्री की पूजा करनी चाहिए।
Q - सिद्धिदात्री देवी का भोग क्या है ? मां सिद्धिदात्री का भोग हलवा, चना और पूरी है। मान्यता है कि इन चीजों का भोग लगाने से माँ प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
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