स्वाधिष्ठान चक्र कैसे जागृत करें

स्वाधिष्ठान चक्र (Svadhisthana Chakra), जिसे त्रिक चक्र भी कहा जाता है, सात मुख्य चक्रों में से दूसरा चक्र है। स्वाधिष्ठान चक्र कैसे जागृत करें। यह जानना आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। क्यूंकि यह चक्र आपको आपका जीवन लक्ष्य खोजने में मदद करेगा।

स्वाधिष्ठान चक्र कैसे जागृत करें

इस चक्र का रंग नारंगी होता है। यह चक्र हमारी ऊर्जा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण केंद्र है जो हमारी भावनाओं, रचनात्मकता, यौन ऊर्जा, और आनंद से जुड़ा हुआ है।

स्वाधिष्ठान चक्र कैसे जागृत करें

स्वाधिष्ठान चक्र जागृत करने के लिए सबसे पहले समतल स्थान पर आसन बिछा कर बैठ जाएँ। पद्मासन अथवा सुखासन में ज्ञानमुद्रा लगाकर बैठ जाएँ। इसके बाद गहरा श्वास लें और बीज मंत्र [ वं ] का जाप करें। मंत्र का जाप धीमी, लयबद्ध और गहरी ध्वनि में करें। इस क्रिया का नियमित अभ्यास स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करता है।

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स्वाधिष्ठान चक्र के मंत्र ।। वं ।। का उच्चारण इस प्रकार होगा – वम्म्म्म्म। पहले गहरा श्वास लें फिर “व” अक्षर का उच्चारण करके “म” की ध्वनि निकालें। “म” की ध्वनि निकलते हुए ध्यान रखें कि “म” की ध्वनि लम्बी होनी चाहिए। “व” के बाद ” म” की लम्बी ध्वनि निकालते हुए बहुत ही धीरे-धीरे मंत्र के उच्चारण को पूरा करें और फिर पुनः ।। वं ।। मंत्र का उच्चारण करें।

मंत्र जाप करते समय मंत्र की ध्वनि को स्वाधिष्ठान चक्र के क्षेत्र में महसूस करने का प्रयास करें। इस प्रकार सुबह-शाम समय निकालकर स्वाधिष्ठान चक्र मंत्र का जाप करें।

स्वाधिष्ठान चक्र कहाँ होता है

स्वाधिष्ठान चक्र मूलाधार चक्र और मणिपुर चक्र के मध्य स्थित होता है।

यह चक्र शरीर में नाभि के ठीक नीचे, जननांगों के ऊपर और रीढ़ की हड्डी (spine) के निचले सिरे पर स्थित होता है। इसे आमतौर पर पेल्विक क्षेत्र (pelvic region) या जांघों और नाभि के बीच माना जाता है।

लोगों को सरल रूप से समझाने के लिए इसका स्थान नाभि से लगभग 2 अंगुल नीचे बताया जाता है।

स्वाधिष्ठान चक्र के लाभ

स्वाधिष्ठान चक्र के जागृत होने से शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर कई लाभ होते हैं। साथ ही स्वस्थ यौन ऊर्जा, जीवन में आनंद और खुशी, स्वस्थ संबंध, परिवर्तन और अनुकूलन क्षमता में वृद्धि जैसे कई लाभ प्राप्त होते हैं।

बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य:

यह चक्र प्रजनन अंगों, मूत्र प्रणाली, गुर्दे और रक्त परिसंचरण से जुड़ा हुआ है। इसका संतुलन इन क्षेत्रों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

भावनात्मक संतुलन:

स्वाधिष्ठान चक्र भावनाओं का केंद्र है। जब यह संतुलित और जागृत होता है, तो व्यक्ति अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझ पाता है वह अपनी भावनाओं बहतर तरीके से व्यक्त कर पाता है और भावनात्मक रूप से स्थिर रहता है। मनुष्य में भय, चिंता, अपराधबोध और ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाएं कम हो जाती हैं।

बढ़ी हुई रचनात्मकता:

यदि स्वाधिष्ठान चक्र जागृत हो जाए तो मनुष्य की सृजन की क्षमता बढ़ जाती है। क्यूंकि स्वाधिष्ठान चक्र रचनात्मकता का केंद्र होता है। स्वाधिष्ठान चक्र जागृत होने से कला, संगीत, लेखन या किसी भी क्षेत्र में रचनात्मकता और प्रेरणा बढ़ती है। नए विचारों को जन्म देने और उन्हें हकीकत में बदलने की क्षमता भी विकसित होती है।

जीवन में आनंद और खुशी:

यह चक्र आनंद, खुशी और जीवन का अनुभव करने की क्षमता से जुड़ा है। जब यह संतुलित होता है, तो व्यक्ति जीवन में छोटे-छोटे पलों का आनंद ले पाता है, उत्साह महसूस करता है और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है।

स्वस्थ संबंध:

यह चक्र दूसरों के साथ हमारे संबंधों को भी प्रभावित करता है। यह चक्र जागृत होने पर हमें दूसरों के साथ गहरा भावनात्मक संबंध बनाने, स्वस्थ सीमाएँ निर्धारित करने और रिश्तों में सहजता लाने में मदद करता है।

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स्वस्थ यौन ऊर्जा:

यह चक्र यौन ऊर्जा और प्रजनन क्षमता से भी संबंधित है। जागृत होने पर, यह यौन ऊर्जा को स्वस्थ और रचनात्मक तरीके से प्रवाहित करने में मदद करता है।

परिवर्तन और अनुकूलन क्षमता:

जल तत्व से जुड़ा होने के कारण, स्वाधिष्ठान चक्र हमें जीवन में आने वाले परिवर्तनों के प्रति अधिक अनुकूलनशील और लचीला बनाता है। हम परिस्थितियों के साथ सहजता से ढल पाते हैं।


स्वाधिष्ठान की साधना मनुष्य को एक तरह की आज़ादी देती है। स्वाधिष्ठान चक्र मनुष्य के जीवन और उसकी इच्छाओं को नियंत्रित करता है। एक स्वस्थ और संतुलित स्वाधिष्ठान चक्र मनुष्य को भावनात्मक रूप से समृद्ध, रचनात्मक और आनंदमय होने में सक्षम बनाता है।

यदि आप, स्वाधिष्ठान चक्र कैसे जागृत करें यह जानने के बाद चक्र जागरण की साधना करने की योजना बना रहे हैं तो आपको एक बात का ध्यान रखना होगा कि चक्रों पर काम करना एक व्यक्तिगत यात्रा है, और परिणाम हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। चक्र जागरण की साधना में उचित फल प्राप्त करने के लिए धैर्य और निरंतरता महत्वपूर्ण है।

(Disclaimer: The material on hindumystery website provides information about Hinduism, its traditions and customs. It is for general knowledge and educational purposes only.)

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