मूलाधार चक्र जागृत कैसे करें

मूलाधार चक्र, इसे रूट चक्र भी कहा जाता है। मूलाधार का मतलब है मूल आधार, यह हमारे भौतिक ढांचे का आधार है। यह हमारे शरीर में स्थित सात चक्रों में से सबसे महत्वपूर्ण है। हमारे शरीर की ऊर्जा इसी चक्र में केंद्रित रहती है।

यदि हम अपने जीवनकाल में इस मूलाधार चक्र को जाग्रत न कर पाए तो हम अपने जीवन में, ऐसा बहुत कुछ जो जो हासिल नहीं कर पाएंगे और इसी भौतिक आसक्ति में जीवन जी कर चले जाएंगे। इसीलिए आज इस लेख में हम आपको बताएँगे कि muladhara chakra ko kaise jagrit kare.

आगे हम आपको बताएँगे कि, हम अपना मूलाधार चक्र जागृत कैसे करें। मूलाधार चक्र जागृत होने से हमारी चेतना भी जड़ता से बाहर आ जाती है और व्यक्ति को सही-गलत का वास्तविक बोध होना शुरू हो जाता है।

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मूलाधार चक्र जागृत कैसे करें|Mooladhar chakr jagrit kaise kre

हमारे शरीर में स्थित सभी चक्रों को जाग्रत करने के लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने सभी चक्रों के लिए अलग-अलग बीज मंत्रों के बारे में बताया है। पुराने समय में ऋषि-मुनियों ने muladhara chakra jagrit karne ki vidhi बतायी है। जिसमें उनहोंने मूलाधार चक्र को जाग्रत करने के लिए muladhara chakra mantra, बीज मंत्र [ लं ] के बारे में वर्णन किया है।

मूलाधार चक्र को जाग्रत करने के लिए सबसे पहले समतल स्थान पर मूलाधार चक्र के आसन लगा कर बैठ जाएँ। इसके लिए आपको स्वस्तिकासन, सुखासन, सिद्धासन जो भी आसान आपको अपने अनुकूल लगे उसमें बैठ जाएँ। इसके बाद गहरा श्वास लें और बीज मंत्र [ लं ] का उच्चारण करें। इससे मूलाधार चक्र का जागरण होगा।

बीज मंत्र ।। लं ।। का उच्चारण इस प्रकार होगा – लम्म्म्म्म। सबसे पहले गहरा श्वास लें फिर “ल” अक्षर का उच्चारण करके “म” की ध्वनि निकालें। “म” की ध्वनि निकलते हुए इस बात का ध्यान रखें कि “म” की ध्वनि लम्बी होनी चाहिए। “ल” के बाद ” म” की लम्बी ध्वनि निकालते हुए बहुत ही धीरे-धीरे मंत्र के उच्चारण को पूरा करें और फिर पुनः ।। लं ।। मंत्र का उच्चारण करें।

शुरूआती समय में इस साधना को 10 मिनट से शुरू करके धीरे-धीरे समय बढ़ाते हुए इस समय को 40 मिनट तक ले के जाएँ।

एक बात का अवश्य ध्यान रखें कि इस मंत्र का उच्चारण करते हुए साधक ने अपनी चेतना को मूलाधार चक्र में ही स्थित रखना है अर्थात अपना ध्यान मूलाधार चक्र में ही लगाए रखना है। मूलाधार चक्र में ध्यान लगाने की बात पर आपके मन में एक सवाल अवश्य आएगा कि (muladhara chakra kaha hota hai) मूलाधार चक्र कहाँ होता है।

“मूलाधार चक्र हमारे जननेंद्रिय (Penis/Vagina) और गुदा द्वार (anus) के मध्य स्थित होता है।”

मूलाधार चक्र जागृत होने से व्यक्ति का स्वास्थ्य के अनगिनत लाभ भी मिलते हैं और वह स्वयं को सही संतुलन में भी रख पायेगा।

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मूलाधार चक्र कितने दिन में जागृत होता है

मूलाधार चक्र को जाग्रत करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप धैर्य रखें और नियमित रूप से अभ्यास करते रहें।

यदि किसी गुरु के सही मार्गदर्शन पूर्ण विधि के साथ अभ्यास किया जाए तो लगभग 40 दिनों में मूलचक्र जाग्रत हो जाता है। वहीँ दूसरी तरफ यदि स्वाभ्यास के द्वारा मूलाधार चक्र को जाग्रत करने का प्रयास किया जाए तो कुछ लोगों के लिए कुछ महीनों में चक्र जागृत हो सकता है, जबकि अन्य लोगों को कई वर्ष लग सकते हैं।

मूलाधार चक्र को जागृत करने में लगने वाला समय साधक के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है। यदि साधक शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति की स्थिति में है, तो साधक का चक्र जागृत होने में कम समय लगेगा।

अभ्यास की नियमितता: अभ्यास की नियमितता भी मूलाधार चक्र के जागरण में लगने वाली समय अवधी के निर्धारण में महत्वपुर्ण भूमिका निभाती है। नियमित रूप से अभ्यास करने से मूलाधार चक्र अपेक्षाकृत जल्दी जागृत होता है।

मूलाधार चक्र जागरण के लक्षण

मूलाधार चक्र जागरण के लक्षण:

  • मूलाधार चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति में भय और चिंता की कमी हो जाती है। व्यक्ति अपने जीवन में भावनात्मक संतुलन को महसूस करता है।

  • कुछ लोगों को मूलाधार चक्र में स्पंदन या कंपन महसूस हो सकता है।

  • मूलाधार चक्र का जागरण होने पर व्यक्ति में सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित हो जाती है।

  • इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति अपने शरीर में ऊर्जा (गर्माहट) का अनुभव कर सकता है।

  • चक्र जागरण के बाद साधक में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार हो सकता है।

  • व्यक्ति में सकारात्मकता बढ़ती है और नकारात्मक विचारों में कमी आती है। वह अपने आसपास उपस्थित सभी चीज़ों को सकारात्मक नज़रिये से देखने लगता है

  • मूलाधार चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति में अपने जीवन के प्रति कृतज्ञता और प्रशंसा की भावना बढ़ सकती है।

ऊपर बताये गए चक्र जागरण के लक्षण व्यक्ति-दर-व्यक्ति भिन्न हो सकते हैं।

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मूलाधार चक्र जागृत होने के लाभ

मूलाधार चक्र लाभ: मूलाधार चक्र के जाग्रत होने पर मनुष्य को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

शारीरिक लाभ

  • मूलाधार चक्र के जाग्रत होने पर मनुष्य के शारीरिक स्वास्थ्य में लाभ होता है। इससे ऊर्जा के स्तर में वृद्धि होती है , रक्तचाप और हृदय गति का नियमन, अच्छा पाचन और एक मज़बूत प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ ही अन्य कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
  • इससे महिला-पुरुष दोनों के यौन स्वास्थ्य में सुधार होता है। पुरुषों की यौन शक्ति और महिलाओं को प्रजनन क्षमता में सुधार का लाभ मिलता है।
  • शरीर में होने वाले कई प्रकार के दर्दों से राहत मिल सकती है।

मानसिक लाभ

  • मूलाधार चक्र जागरण से मनुष्य में भय, चिंता और तनाव में कमी हो सकती है।
  • इससे नींद न आने की समस्या में सुधार होता है साथ ही साथ ही नींद की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
  • मूलाधार चक्र जागरण के बाद मनुष्य भावनात्मक रूप से अधिक स्थिर और संतुलित महसूस करता है।
  • चक्र जागरण से सोच स्पष्ट, तर्कसंगत और सकारात्मक हो सकती है।
  • यदि मूलाधार चक्र संतुलित रहता है तो व्यक्ति के जीवन में उसके सभी सम्बन्ध भी सही रहते हैं।

आध्यात्मिक लाभ

  • मूलाधार चक्र जाग्रत होने से साधक स्वयं को आध्यात्मिक रूप से अधिक जागृत महसूस करता है।
  • इससे अंतर्ज्ञान में वृद्धि हो सकती है और आंतरिक मार्गदर्शन की भावना बढ़ सकती है।
  • मूलाधार चक्र जागरण के बाद मनुष्य को आंतरिक शांति और स्थिरता का अनुभव हो सकता है।

तो इस प्रकार muladhara chakra benefits का हमारे शारीरिक जीवन, मानसिक जीवन और आध्यात्मिक जीवन पर प्रभाव पड़ता है। और यह हमें एक संघर्ष रहित जीवन जीने के योग्य बनाता है।

मूलाधार चक्र जागरण होने के मानव शरीर पर प्रभाव अलग-अलग लोगों में अलग दिख सकते हैं। कुछ लोगों को ये सभी लाभ अनुभव हो सकते हैं, जबकि अन्य को केवल कुछ ही अनुभव हो सकते हैं।

यदि आपको कोई गंभीर शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं, तो मूलाधार चक्र को जागृत करने का प्रयास करने से पहले किसी योग्य पेशेवर वैद्य की सलाह अवश्य लें।

(Disclaimer: The material on this website provides information about Hinduism, its traditions and customs. It is for general knowledge and educational purposes only.)

8 thoughts on “मूलाधार चक्र जागृत कैसे करें”

  1. आपका मूलाधार चक्र के बारे में दिया हुआ ज्ञान बहुत ही अच्छा लगा यानी सोच से भी ज्यादा।

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  2. Me 30 sal ka hu or meri sadi ho gayi h kya me rat ko 11 bje ka bad dhyan kendrit kar sakta hu isme koi parhej to nhi h wife ke sath

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    • जी हाँ आप ध्यान कर सकते हैं, लेकिन ध्यान साधना शुरू करने से पूर्व किसी योग्य गुरु अथवा योग प्रशिक्षक से दिशा निर्देश लेना आपके लिए बेहतर रहेगा।

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  3. बहुत सुंदर वर्णन
    अध्यातमता की और ले जाने वाले मार्ग पथ प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद और नमन 🙏🙏🙏🙏

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  4. Aaj ke Yug mein sacche Guru ki Khoj aise hi hai Jaise bhuse mein sui ko khojna parantu aapane Bina Guru ke muladhar chakra ko jagrit karne ki jo vidhi batai hai vah bahut hi mahatvpurn aur man v mastishk main utar gai hai Jo bahut hi acchi lagi aur ISI ke anurup main muladhar chakra se apne naye jivan ki shuruaat karta hun aapko कोटि-कोटि dhanyvad Jay Shri Ram Hari Om Namah Shivay Jay Gau Mata

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  5. अभी कुछ ही समय पहले गायत्री पाठ करते समय जीवन के 48 वर्ष बीत जाने पर शरीर में एक खास ऊर्जा का अनुभव हुआ मन ऐसा खुश एक हफ्ते तक जीवन में ऐसा कभी भी अनुभव नहीं हुआ परंतु अभी तक यह समझ में नहीं आया है उसे ऊर्जा का द्वारा पाठ करते समय कैसे और कहां से खुला क्या कोई विद्वान व्यक्ति इस बारे में प्रकाश डाल सकता है

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