क्या आप जानते हैं शिवलिंग पर दूध और जल क्यों चढ़ाते हैं। इस लेख में हम आपको शिवलिंग पर दूध और जल चढाने के वैज्ञानिक कारणों के बारे में बताएँगे।
हिन्दू धर्म में कहा गया है की भगवान् शिव आदि से अंत तक हैं और सावन का पूरा महीना उन्हीं शिव को अर्पित है। भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए भक्त सावन के माह में उपवास करते हैं और शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।

आमतौर पर भक्त लोग शिवलिंग का अभिषेक जल और दूध से करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का वैज्ञानिक कारण क्या है और शिवलिंग पर जल चढाने का वैज्ञानिक कारण क्या है।
इस लेख में हम आपको बताएँगे कि शिवलिंग पर दूध और जल क्यों चढ़ाया जाता है। यहाँ आप जानेंगे कि शिवलिंग पर दूध चढ़ाना दूध की बर्बादी है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है। साथ ही शिवलिंग पर चढ़ाये गए दूध, जल आदि को प्रसाद के रूप में क्यों नहीं दिया जाता।
शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाने के कारण
भगवान शिव हिन्दुओं के पूज्य देव हैं लोगों की उनमे गहरी आस्था है। हिंदू धर्म ग्रंथों में उनकी पूजा और व्रत विधियों का वर्णन किया गया है। और हिन्दू समाज के लोगों द्वारा इनका पालन भी किया जाता है।
लेकिन आज के समय में, समाज के कुछ लोग इन पूजा विधियों को आधारहीन मानते हैं और इन परम्पराओं को आधारहीन बताकर शिव की पूजा करने वाले लोगों का मज़ाक भी उड़ाते हैं। भगवान शिव में आस्था रखने वालों के पास इन बातों का कोई जवाब नहीं होता। खुद को सही साबित करने के लिए उनके पास कोई तथ्य ( Fact ) नहीं होता।
इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप जान जायेंगे कि हिन्दू धर्म में शिव की पूजा इस तरह से क्यों बताई गयी है जैसे – भगवान शिव को दूध क्यों चढ़ाया जाता है ? शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाया जाता है ?
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शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है
हिन्दू धर्म में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का विधान है इसीलिए भक्त शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं। इसके साथ ही उन्हें कई बार ऐसे प्रश्न भी सुनने पड़ते हैं कि आखिर तुम लोग शिवलिंग पे इतना दूध बर्बाद क्यों करते हो ? शिवलिंग पर दूध चढाने से क्या होता है ?
इससे अच्छा है कि तुम यही दूध किसी गरीब को पिलाओ और दुआएं पाओ। इससे गरीब का भी भला होगा और तुम्हारा भी भला होगा । इसके जवाब में शिव भक्तों के पास कोई जवाब नहीं होता वो लोग सिर्फ इतना ही कह पाते हैं कि यह हमारी परंपरा चली आ रही है इसीलिए हम इसको फॉलो करते हैं।
तो आइये दोस्तों हम आपको बताते हैं कि शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के वैज्ञानिक कारण क्या हैं ?
शिवलिंग पर दूध सावन की शिवरात्रि में चढ़ाया जाता है। शिवलिंग पर दूध इसीलिए चढ़ाते क्यूंकि आयुर्वेद के अनुसार सावन के महीने में दूध पीने से मना किया गया है क्यूंकि इस समय दूध का सेवन करने से शरीर में वात, पित्त, कफ का संतुलन बिगड़ जाता है। जो बिमारिओं का कारण बनता है। आयुर्वेद में इनको त्रिदोष के नाम से जाना जाता है और आयुर्वेद कहता है कि यदि कोई बाहरी संक्रमण कारण न हो तो वात, पित्त, कफ के असंतुलन के कारण ही सभी रोग होते हैं।
हिन्दू धर्म में खाने – पीने के सामान को ऐसे फेंक देना भगवान् के अपमान के समान माना गया है। इसीलिए इस समय के दूध को शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है।
हिन्दू धर्म में शिवलिंग पर सावन के महीने की शिवरात्रि में दूध चढाने के पीछे दूसरा वैज्ञानिक कारण यह है कि सावन के महीने में दूध देने वाले जानवर घास के साथ लगे कीड़े मकोड़े भी खा लेते हैं, जिससे उनका दूध मानव शरीर के लिए हानिकारक हो जाता है। इसीलिए हिन्दू धर्म में सावन के महीने में दूध पीने की मनाही है ताकि लोग पूरी जिंदगी स्वस्थ रह सकें।
बहुत से पाठक यह भी सोच रहे होंगे कि हम लोग तो 12 महीने दूध पीते हैं हमें तो कोई बीमारी नहीं हुई। तो उन सभी पाठकों से हम यह कहना चाहते हैं कि समाज में बहुत से लोग ऐसे भी है जो 12 महीने सिगरेट, शराब पीते है लेकिन फिर भी वो लोग जी रहे हैं। अब ये फैसला करने का अधिकार केवल आपको ही है कि आप किस तरह का जीवन जीना चाहते हैं।
हिन्दू धर्म में ये रस्म – रिवाज और परम्पराएं इसीलिए निभाई जाती हैं कि लोग 100 साल तक की जिंदगी बिना किसी बीमारी के जी सकें। आजकल आपने देखा होगा कि गठिया, High B.P. , Diabetes जैसी बीमारियां लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं।
इन तथ्यों को जानने के बाद आप कह सकते हैं की शिवलिंग पर दूध चढ़ाना दूध की बर्बादी नहीं है।
शिवलिंग पर दूध रोज़ नहीं चढ़ाया जाता, बल्कि इसके लिए वैज्ञानिक आधार पर एक समय तय किया गया है और वो समय है सावन का महीना। तो लोगों का ये कहना नासमझी है कि शिवलिंग पर पूरा साल हज़ारों लीटर दूध चढ़ाया जाता है जिससे दूध की बर्बादी होती है।
तो साथियों अगर आपको लगता है कि शिवलिंग से जुडी ये जानकारी आपके परिवार और दोस्तों को भी होनी चाहिए तो ये जानकारी आप उनसे भी शेयर कीजिये।
शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाया जाता है
जिस प्रकार शिवलिंग पर दूध चढाने का एक वैज्ञानिक कारण है। उसी प्रकार शिवलिंग पर जल चढ़ाने का कारण भी वैज्ञानिक है। तो चलिए हम आपको बताते हैं शिवलिंग पर जल चढ़ाने के वैज्ञानिक कारण।
शिवलिंग पर जल इसीलिए चढ़ाया जाता है क्यूंकि वैदिक शास्त्रों में कहा गया है कि शिवलिंग से लगातार ऊर्जा निकलती है और शिवलिंग की ऊर्जा को शांत रखने के लिए ही हिन्दू धर्म में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही हम आपको यह भी बता देते हैं कि हिन्दू ग्रंथों के हिसाब से शिवलिंग पर जल कब चढ़ाना चाहिए। हिन्दू ग्रंथों के हिसाब से शिवलिंग पर पूरा साल जल चढ़ाना चाहिए।
वर्तमान में होने वाले वैज्ञानिक अध्ययनों में भी सभी ज्योतिर्लिंगों में रेडिएशन का उच्च स्तर पाया गया है। यदि आप भारत के रेडियो एक्टिविटी मानचित्र को देखेंगे तो आपको पता चलेगा की भारत में न्यूक्लीयर रिएक्टरों के अलावा जिन स्थानों पर ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं वहां भी रेडिएशन पाया जाता है।
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शिवलिंग और न्यूक्लीयर रिएक्टर में समानता
शिवलिंग को एक ऊर्जा पुंज के रूप में स्थापित किया जाता है। जिस प्रकार न्यूक्लीयर रिएक्टर को ठंडा रखने के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाता है बिलकुल इसी तरह शिवलिंग से निकलती ऊर्जा को शांत रखने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है।
जब हम देखते हैं कि दुनिया में न्यूक्लीयर प्लांट किन – किन जगहों पर हैं तो हमें पता चलता है कि लगभग सभी न्यूक्लीयर प्लांट ऐसी जगहों पर बनाये गए हैं जहाँ ज्यादा पानी आसानी उपलब्ध है। बिलकुल इसी तरह भारत में सभी ज्योतिर्लिंग उन जगहों पर मिलते हैं जहाँ पानी का कोई प्राकृतिक स्त्रोत उपलब्ध है।
शिवलिंग और न्यूक्लीयर में एक और समानता देखने को मिलती है।
जिस तरह न्यूक्लीयर रिएक्टर में इस्तेमाल पानी को लोगों के संपर्क से दूर रखा जाता है। उसी तरह शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल तथा दूध कभी भी लोगों को प्रसाद में नहीं दिया जाता और साथ ही उस जगह को भी लांघने की भी मनाही होती है जहाँ से शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल बह कर बाहर निकलता है। इसीलिए शिवलिंग पर चढ़ाया गया दूध या जल नहीं पीना चाहिए।
मंदिर में शिवलिंग की कभी भी पूरी परिक्रमा नहीं की जाती जबकि दूसरे देवी – देवताओं की पूरी परिक्रमा की जाती है ऐसा इसीलिए क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ाये गए जल और दूध को मानव संपर्क से दूर रखना होता है।
इस तथ्य को जानने के बाद बहुत से पाठकों को अपने इस प्रश्न का उत्तर भी मिल गया होगा की, शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल पीना चाहिए या नहीं ? शिवलिंग पर चढ़ा हुआ दूध पीना चाहिए या नहीं ?
हमारे पाठकों के मन में एक सवाल और उठ रहा होगा कि, शिवलिंग पर क्या – क्या चढ़ाया जाता है। शिवलिंग पर दूध और जल के साथ भांग ( गांजा ), धतूरा, बेलपत्र भी चढ़ाया जाता है
भांग के बारे में भी समाज में बहुत गलतफहमी है। हम अपने अगले लेख में भांग के बारे में अपने पाठकों के सभी प्रश्नों को हल करने का प्रयास करेंगे।
आशा करते हैं ऊपर दी गयी जानकारी को पढ़ने के बाद शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाने से जुड़े आपके सभी भ्रम दूर हो गए होंगे और आपको इस विषय से जुड़े आपके सभी प्रश्नों का हल मिल गया होगा। यदि अभी भी आपके मन में कोई सवाल है तो आप बेझिझक अपना सवाल हमें कमेंट में लिखिए। आपके सवाल का जवाब देने की हम पूरी कोशिश करेंगे।
हिन्दू धर्म की परम्पराओं में छिपे विज्ञान को जानने के लिए इसी तरह हमसे जुड़े रहिये। आगे भी हम आपको इसी तरह की जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे।
(Disclaimer: This material on this website provides information about Hinduism and the science behind its traditions, customs. It is for general knowledge and educational purposes only.)