कात्यायनी माता की आरती
छठे नवरात्रे पर माँ कात्यायनी की पूजा करने के बाद कात्यायनी माता की आरती करें फिर प्रसाद बांटे। माँ कात्यायनी आपकी हर मनोकामना पूर्ण करेंगी।
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जय जय अंबे जय कात्यायनी।
जय जगमाता जग की महारानी ।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा ।।
कई नाम हैं कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की ।।
झूठे मोह से छुड़ानेवाली।
अपना नाम जपानेवाली।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी ।।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
माता की आरती का अर्थ
- हे माँ कात्यायनी, हे जग की महारानी, आपको जय हो, जय हो।
- आपका स्थान बैजनाथ है, जहां आप वरदान देने वाली के नाम से पुकारी जाती हैं।
- आपके कई नाम हैं और आपके कई धाम हैं, लेकिन यह स्थान भी बहुत ही सुखद है।
- हर मंदिर में आपकी ज्योति है, और आपकी महिमा अद्वितीय है।
- आपके नाम पर हर जगह उत्सव होते रहते हैं, और हर मंदिर में भक्त आपकी महिमा का गुणगान करते हैं।
- हे कात्यायनी, आप मेरी काया की रक्षक हैं और आप मेरे मोह और माया के बंधन को काट देती हैं।
- आप मुझे झूठे मोह से छुड़ाती हैं, और आपका नाम जपने से मुझे मोक्ष मिलता है।
- बृहस्पतिवार को माँ कात्यायनी की पूजा करें और माँ का ध्यान करें।
- माँ हर संकट को दूर करती हैं और भंडारे भरपूर करती हैं।
- जो भी भक्त माँ कात्यायनी को पुकारता है, माँ उसके सभी कष्टों को दूर करती हैं।
इस प्रकार सच्चे मन से कात्यायनी माता की आरती करें। अपने जीवन के सभी कष्टों से निवारण पाएं।
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