मकर संक्रांति जो कि एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है और हर साल जनवरी माह के मध्य में मनाया जाता है। इस लेख में हम आपको बताएँगे मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता है।

यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और शीत ऋतु के समाप्त होने का प्रतीक है। इसे कृषि और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का भी अवसर माना जाता है। विभिन्न राज्यों में इस पर्व को अलग-अलग नामों से जाना जाता है और अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है।
यह उत्सव सूर्य की उपासना, नई फसल की खुशी और सामूहिक उत्सव का प्रतीक है।
मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता है
मकर संक्रांति भारत के विभिन्न भागों में विविध रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन प्रातःकाल उठकर गंगा नदी या सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व है। अगर नदी या सरोवर न हो तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है।
मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी अथवा गंगाजल मिलाकर किये गए स्नान के बाद लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं। मकर संक्रांति के दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है इसीलिए इस दिन लोग अनाज, कपड़े, धन आदि दान करते हैं और इस दिन लोग तिल और गुड़ को मिलाकर बनाये गए लड्डू का सेवन करते हैं कई जगहों पर मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से उत्तर भारत में खिचड़ी बनाकर खाई जाती है। उत्तर भारत में मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ा कर भी यह पर्व मनाया जाता है।
मकर संक्रांति को पूरे भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों में अलग अलग नामों से जाना जाता है। इन राज्यों में इस पर्व को अलग-अलग नामों से जाना जाता है और स्थानीय परम्पराओं के अनुसार अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
- उत्तर प्रदेश, बिहार: खिचड़ी, मकर संक्रांति
उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी (मकर संक्रांति) धार्मिक आस्था से मनाई जाती है। लोग पवित्र नदियों में स्नान, तिल-गुड़ दान और सूर्य उपासना करते हैं। खिचड़ी बनाकर भगवान को अर्पित करते हैं। मेले, लोकगीत, और सामूहिक भोज से त्योहार का उत्साह बढ़ता है, दान-पुण्य को विशेष महत्व दिया जाता है।
- पंजाब, हरियाणा: लोहड़ी
पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी फसल कटाई और खुशहाली का पर्व है। लोग आग जलाकर तिल, मूंगफली, गुड़ चढ़ाते हैं और भांगड़ा-गिद्धा नृत्य करते हैं। नई फसल की खुशी में परिवार संग रेवड़ी और गज्जक बांटी जाती है। नवविवाहितों और नवजातों के लिए त्योहार का खास महत्व होता है।
- राजस्थान: सक्रांत
राजस्थान में सक्रांत (मकर संक्रांति) उत्साह से मनाई जाती है। लोग तिल, गुड़ के पकवान बनाते हैं और पतंगबाजी करते हैं। महिलाएं सुहाग का सामान देकर “सुंदड़ा” करती हैं। दान-पुण्य का विशेष महत्व है, खासकर तिल, गुड़, और गर्म वस्त्र। यह दिन सामूहिक खुशी और परंपराओं का प्रतीक है।
- गुजरात: उत्तरायण
गुजरात में उत्तरायण (मकर संक्रांति) पतंगबाजी के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। लोग छतों पर रंग-बिरंगी पतंग उड़ाते हैं। तिल-गुड़ के लड्डू, चक्की, और उंधियू जैसे पकवान बनाए जाते हैं। सूरत और अहमदाबाद में पतंग महोत्सव होता है। यह पर्व नई ऊर्जा, फसल, और खुशहाली का उत्सव है।
- महाराष्ट्र: मकर संक्रांति (तिलगुल पर्व)
महाराष्ट्र में मकर संक्रांति को तिलगुल पर्व के रूप में मनाया जाता है। महिलाएं हल्दी-कुमकुम समारोह आयोजित करती हैं। तिलगुल लड्डू और गुड़ बांटते हुए “तिलगुल घ्या, गोड़ गोड़ बोला” कहते हैं। लोग दान-पुण्य करते हैं और नए वस्त्र पहनते हैं। यह पर्व सौहार्द, प्रेम और दान की भावना का प्रतीक है।
- गोवा: संक्रात
गोवा में संक्रांति के दौरान, हिंदू महिलाएं हल्दी-कुमकुम की रस्म निभाती हैं। वे एक-दूसरे के घर जाकर हल्दी-कुमकुम लगाती हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करती हैं, जिससे त्योहार और भी खास बन जाता है।
- पश्चिम बंगाल: पौष संक्रांति
पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति को “पौष पर्व” के रूप में मनाया जाता है। लोग गंगा स्नान कर दान-पुण्य करते हैं। पारंपरिक व्यंजन जैसे तिल-पट्टी, पायेश, और पिठे-पुली तैयार किए जाते हैं। गंगा सागर मेले का विशेष महत्व है। यह पर्व नई फसल, सामूहिकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
- ओडिशा: मकर संक्रांति
ओडिशा में मकर संक्रांति को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग नदियों में स्नान करते हैं और मंदिरों में पूजा करते हैं। घरों में विशेष व्यंजन जैसे मकर चौला बनाए जाते हैं। लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ देते हैं और पारंपरिक गीत गाते हैं।
- असम: भोगाली बिहू या माघ बिहू
असम में मकर संक्रांति को भोगाली बिहू या माघ बिहू के रूप में मनाया जाता है। यह फसल कटाई का उत्सव है, जहां लोग “मेजी” जलाकर अग्नि पूजा करते हैं। पारंपरिक व्यंजन जैसे पिठा और तिल लड्डू बनाए जाते हैं। नृत्य, गीत और सामूहिक भोज से यह पर्व खुशहाली और उत्सव का प्रतीक बनता है।
- तमिलनाडु: पोंगल
तमिलनाडु में इस त्यौहार को पोंगल त्योहार के नाम से जाना जाता है। इस दिन वहां पर दूध उबालकर उसमें चावल डाला जाता है।तमिलनाडु में पोंगल पर्व पर पारंपरिक संगीत और नृत्य का आयोजन होता है।
- कर्नाटक: सुग्गी हब्बा
कर्नाटक में मकर संक्रांति को ‘सुग्गी हब्बा’ के नाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और एल्लू-बेला (तिल, गुड़ और नारियल का मिश्रण) एक-दूसरे को उपहार में देते हैं। किसान बैलों को सजाकर शोभायात्रा निकालते हैं। यह त्योहार नई फसल का स्वागत करने का प्रतीक है।
- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना: संक्रांति
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मकर संक्रांति को ‘पेड्डा पंडुगा’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग नदियों में स्नान करते हैं, मंदिरों में पूजा करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। घरों में पोंगल, पुलिहोरा और अरिसेलु जैसे विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं। लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ देते हैं और पारंपरिक गीत गाते हैं। यह त्योहार नई फसल का स्वागत करने का प्रतीक है।
- मध्य प्रदेश: सकरात
मध्य प्रदेश में सकरात (मकर संक्रांति) का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसे ‘तिल का त्योहार’ भी कहा जाता है। इस दिन लोग तिल के लड्डू बनाते हैं और एक-दूसरे को देते हैं। पतंगबाजी भी इस त्योहार का प्रमुख आकर्षण है। लोग नदियों में स्नान करते हैं और मंदिरों में पूजा करते हैं।
- छत्तीसगढ़: छेरछेरा
छत्तीसगढ़ में मकर संक्रांति को “छेरछेरा” उत्सव के नाम से जाना जाता है। लोग तिल, गुड़ और चावल से बने पकवान खाते हैं और दान-पुण्य करते हैं। “छेरछेरा” उत्सव में बच्चे और युवा टोलियां बनाकर घर-घर जाकर अनाज एकत्र करते हैं। बैलों की पूजा और मेलों का आयोजन होता है। यह पर्व फसल, समृद्धि और सामूहिकता का प्रतीक है।
- त्रिपुरा: गोसाईं या माघी
त्रिपुरा में मकर संक्रांति को ‘गोसाईं’ या ‘माघी’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग नदियों में स्नान करते हैं, मंदिरों में पूजा करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। घरों में विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं और लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ देते हैं। यह त्योहार नई फसल का स्वागत करने और सूर्य देव की पूजा करने का प्रतीक है।
- मणिपुर: लमथाम थोगाई
मणिपुर में मकर संक्रांति को “लमथाम थोगाई” के रूप में मनाया जाता है। यह फसल कटाई का पर्व है, जो कृषि और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का प्रतीक है। लोग पारंपरिक नृत्य और गीतों का आयोजन करते हैं। सामूहिक भोज में चावल, तिल, और अन्य स्थानीय व्यंजन शामिल होते हैं। पतंगबाजी भी एक प्रमुख आकर्षण है।
मकर संक्रांति भारत की विविधता में एकता को दर्शाने वाला पर्व है, जो हर राज्य में स्थानीय परंपराओं के साथ मनाया जाता है। यह फसल कटाई, सूर्य उपासना, और दान-पुण्य का उत्सव है। पंजाब-हरियाणा में लोहड़ी, असम में भोगाली बिहू, गुजरात में उत्तरायण, और तमिलनाडु में पोंगल इसी प्रकार भारत के सभी राज्यों में इसकी विविध अभिव्यक्तियां हैं। हर क्षेत्र में तिल, गुड़, चावल जैसे खाद्य पदार्थ सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक हैं।
पतंगबाजी, मेलों, लोकगीतों और सामूहिक भोज से यह पर्व आनंद और एकता का संदेश देता है। संक्रांति भारत की विविध संस्कृतियों और परंपराओं को एक सूत्र में बांधने का उत्सव है।