तीसरा नवरात्र व्रत कथा | पूजा से पहले जानिये देवी माँ चंद्रघंटा की कथा

तीसरा नवरात्र व्रत कथा|माँ चंद्रघंटा की कथा

तीसरे नवरात्र में माँ चंद्रघंटा देवी की पूजा की जाती है। देवी माँ की पूजा करने के बाद तीसरा नवरात्र व्रत कथा पढ़ी और सुनी जाती है। माँ चंद्रघंटा की कथा इस प्रकार है:

प्राचीन काल में, एक दैत्यराज था जिसका नाम महिषासुर था। वह बहुत शक्तिशाली था। अपनी शक्ति के अभिमान में डूबकर उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया। देवता महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर भगवान शिव के पास गए। भगवान शिव ने देवी दुर्गा को महिषासुर का वध करने के लिए कहा।

देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए तपस्या की। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उन्हें दस रूपों में अवतार लेने का वरदान दिया। देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए अपने तीसरे रूप, चंद्रघंटा का अवतार लिया।

माँ चंद्रघंटा ( maa chandrghanta ) का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य था। उनके मस्तक पर एक चंद्रमा था, जो उनकी मंद मुस्कान से प्रकाशमान था। उनके दाएं हाथ में तलवार और बाएं हाथ में कमल था।

चंद्रघंटा ने महिषासुर के साथ भयंकर युद्ध किया। अंत में, उन्होंने अपने तलवार से महिषासुर का वध कर दिया। महिषासुर के वध से देवताओं को मुक्ति मिल गई और उन्होंने देवी चंद्रघंटा की स्तुति की।

इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची भक्ति और तपस्या से कोई भी कठिन कार्य संभव है। देवी चंद्रघंटा ने अपनी भक्ति और तपस्या से महिषासुर का वध कर दिया। इसलिए, हमें भी सच्चे मन से देवी चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए और उनकी कृपा प्राप्त करनी चाहिए।

तीसरा नवरात्र व्रत कथा का महत्व

तीसरा नवरात्र व्रत चंद्रघंटा देवी की पूजा का दिन है। इस दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से बुद्धि, विवेक, ज्ञान और एकाग्रता की प्राप्ति होती है। इस दिन देवी चंद्रघंटा की कथा सुनने से भी विशेष लाभ होता है।

माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि

नवरात्रि के तीसरे दिन, देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन भक्त देवी चंद्रघंटा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करके उनकी पूजा करते हैं। पूजा में निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • देवी चंद्रघंटा की तस्वीर या मूर्ति
  • फूल
  • अक्षत के लिए चावल
  • रोली
  • धूप
  • दीपक
  • नैवेद्य ( मिठाई )
  • माला
  • प्रसाद

पूजा विधि:

  • सबसे पहले सुबह उठ कर शौचादि से निवृत होकर स्नान करें और साफ़ कपड़े पहन लें। व्रत के दौरान सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना फलदाई रहता है।

  • इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और देवी चंद्रघंटा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।

  • फिर, धूप और दीप जलाकर देवी माँ को पुष्प, अक्षत, रोली, और नैवेद्य अर्पित करें।

  • माला लेकर देवी चंद्रघंटा के मंत्र का जाप करें।

  • देवी चंद्रघंटा की कथा सुनें या पढ़ें।

  • देवी चंद्रघंटा से अपने मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।

  • अंत में, प्रसाद को सभी में बांट दें।

माँ चंद्रघंटा का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। 
  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

माँ चंद्रघंटा का भोग

क्या आप जानते हैं नवरात्री के तीसरे दिन का भोग क्या है। नवरात्री के तीसरे दिन, माँ चंद्रघंटा को दूध और दूध से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है।

  • दूध से बनी मिठाई – माँ चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई बहुत पसंद है। हम उन्हें हलवा, खीर, लड्डू, या अन्य कोई भी दूध से बनी मिठाई अर्पित कर सकते हैं।

  • फलों का भोग – देवी माँ को मीठे फलों का भोग भी अर्पित किया जाता है। हम उन्हें आम, केला, या अंगूर जैसे मीठे फल अर्पित कर सकते हैं।

माँ चंद्रघंटा को भोग लगाते समय इन बातों का ध्यान रखें:

  • अगर देवी माँ को भोग लगाने के लिए घर में ही खीर या फिर कोई अन्य मिठाई तैयार की जा रही है तो भोग तैयार करते समय सफाई और पवित्रता का ध्यान रखें।

  • देवी माँ को श्रद्धापूर्वक भोग अर्पित करें।

  • भोग को प्रसाद के रूप में सभी में बांट दें।

(Disclaimer: The material on this website provides information about Hinduism, its traditions and customs. It is for general knowledge and educational purposes only.)

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