हिन्दू धर्म के वेदों में इस ब्रह्माण्ड का समस्त ज्ञान समाया हुआ है। वेदों में छिपे ज्ञान को अत्यंत शक्तिशाली बताया गया है। गायत्री मंत्र को इन्हीं वेदों की माँ माना जाता है। किन्तु गायत्री मंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई यह हमेशा ही चर्चा का विषय रहा है। आज इस लेख को पढ़ने के बाद आप जान जायेंगे की गायत्री मंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई।

धर्मग्रंथों में बताया गया है कि इस सृष्टि की शुरुआत वाक् (Sound) से हुई थी। वो sound था “ॐ” का sound । आज की वैज्ञानिक खोजों से भी यह बात सिद्ध होती है।
हिन्दू धर्मग्रंथों में गायत्री मंत्र को वेदों का सार बताया गया है है। यह सभी मंत्रों में सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली मंत्र है।
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गायत्री मंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई
गायत्री मंत्र इस सृष्टि में कब से है, इसकी उत्पत्ति कैसे हुई यह कहाँ से आया यह कोई नहीं जनता। यदि हम गायत्री मंत्र की उत्पत्ति के बारे में जानना चाहते है तो इसके लिए हमें पहले इस सृष्टि की उत्पत्ति से जुड़े पहलुओं को जानना होगा। सबसे पहले यहाँ ब्रह्माण्ड मौजूद था और इस ब्रह्माण्ड के साथ वाक् (Sound) था।
इसके साथ ही “ॐ” इस ब्रह्माण्ड की शुरुआत से ही मौजूद है। विज्ञान में आज तक इसकी कोई भी व्याख्या नहीं है कि इस सृष्टि में “ॐ” कब आया, कैसे आया, कहां से आया।
ब्रह्माण्ड और वाक् (Sound) से बने ब्रह्मा, विष्णु और महेश जिनको आज विज्ञान की भाषा में Atoms में स्थित Proton, Neutron, Electron के नाम से जाना जाता है। वेदों में इसकी व्याख्या की गयी है और बताया गया है कि ये Proton, Neutron, Electron ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश हैं।
जैसे Atoms में स्थित Proton, Neutron, Electron को Motion (गति) में लाने के लिए एक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार ब्रह्मा, विष्णु और महेश को भी एक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए हमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ एक-एक देवी देखने को मिलती है। जो उनकी शक्ति होती हैं।
ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों को अलग-अलग नहीं एकसाथ, सम्मिलित रूप से वेदों में प्रजापति कहा गया है। प्रजापति के पास वाक् और शक्ति दोनों है। फिर प्रजापति इस सृष्टि की कल्पना करनी शुरू करते हैं। फिर ये कल्पना बाहर आयी और इसने सृष्टि का रूप ले लिया पृथ्वी, सौरमंडल, अनगिनत सूर्य, तारामण्डल आदि का निर्माण हो गया।
सृष्टि की रचना वास्तव में होने से पहले सृष्टि की रचना प्रजापति के अंदर वाक् (Sound) के रूप में हो चुकी थी। अपने ऊपर पढ़ा है कि प्रजापति की कल्पना से सृष्टि का निर्माण हुआ। पाठक वर्ग के मन में यह सवाल उठेगा, फिर ऐसा क्यों बताया जा रहा है कि सृष्टि की रचना प्रजापति के अंदर वाक् (Sound) के रूप में हो चुकी थी।
प्रजापति की कल्पना से सृष्टि का निर्माण हुआ और सृष्टि की रचना वास्तव में होने से पहले सृष्टि की रचना प्रजापति के अंदर वाक् (Sound) के रूप में हो चुकी थी। ये दोनों ही बातें सही हैं। इसे ऐसे समझिये यदि आप अपने भीतर अपने किसी करीबी से जुड़ी कोई भी कल्पना करते है तो आपको अपने मन में वही शब्द सुनाई देते हैं जिनकी आप कल्पना कर रहे होते हो।
प्रजापति के अंदर जो कल्पना हुई उसे वाक् कहते हैं। इसीलिए बताया जाता है कि सृष्टि की रचना वाक् (Sound) से हुई
प्रजापति की कल्पना ही हमारे वेद हैं। इसीलिए हमारे वेदों में इस सृष्टि के सभी सवालों के जवाब मिलते हैं। इसीलिए हिंदू धर्म में कहा जाता है कि सृष्टि से पहले वेदों का निर्माण हुआ
इस प्रकार आप इस सृष्टि की उत्पत्ति से जुड़े पहलुओं को जान गए हैं। अब हम आपको गायत्री मंत्र की उत्पत्ति के बारे में बताएँगे।
"गायत्री मंत्र" इसमें गायत्री का अर्थ है किसी भी चीज को गाना है। गायत्री मंत्र का base वाक् है इस सृष्टि की रचना का base भी वाक् है। इस सृष्टि की रचना हक़ीकत में होने से पहले प्रजापति के अंदर वाक् के रूप में हुई। इस वाक् से ही वेदों का निर्माण हुआ, इस वाक् से ही सृष्टि का निर्माण हुआ। ये वाक् ही गायत्री मंत्र है।
इसीलिए गायत्री मंत्र को वेदों की माँ माना जाता है और गायत्री मंत्र को सभी मंत्रों में सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली मंत्र बताया गया है।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र की शक्ति क्या है
गायत्री मंत्र एक ऐसा मंत्र है जो आपकी कल्पना को वास्तविकता में बदल सकता है, आपकी सोच को हक़ीकत में बदल सकता है। गायत्री मंत्र, मनुष्य की इच्छाओं Desires को पूरा करने की शक्ति रखता है।
किन्तु यहाँ पर एक बात ध्यान देने योग्य है कि गायत्री मंत्र को किसी गुरु के दिशानिर्देश में शुरू करना ही सही है। ऐसा इसीलिए क्यूंकि हमारा मन बहुत ही चंचल होता है उसमे तरह-तरह के विचार और इच्छाएं उत्पन्न होती रहती हैं। ऐसी स्थिति में एक गुरु ही आपका सही मार्गदर्शन कर सकता है कि किस प्रकार आपको अपना मन संयमित रखना है और अपने मन में उठने वाले विचारों को अपने नियंत्रण में रखना है।
इस प्रकार एक गुरु के मार्गदर्शन में गायत्री मंत्र का जाप करके आप अपनी इच्छाएं पूरी कर सकते हो। इसीलिए हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र को बड़ा ही शक्तिशाली मंत्र बताया गया है।
गायत्री मंत्र के नियम
हमेशा गायत्री मंत्र का जाप सूर्योदय के साथ कर देना चाहिए और सूर्योस्त होने के कुछ देर बाद ही मां गायत्री का आशीर्वाद लेकर बंद कर देना चाहिए।
गायत्री मंत्र जप करने से पहले साफ और सूती वस्त्र पहनें।
कुश या चटाई के आसन पर बैठकर जाप करें।
तुलसी या चन्दन की माला का प्रयोग करें।
ब्रह्ममूहुर्त में यानी सुबह अथवा शाम के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके गायत्री मंत्र का जाप करें।
किसी भी तरह धार्मिक कार्यों को करने के लिए हमेशा स्थिरता और ध्यान की जरूरत होती है। इसलिए आप भी इस गायत्री मंत्र के जाप के समय शांत रहे। शांत और एक स्वच्छ स्थान को चुनें, ध्यान रखें की वहां आपको कोई भी दूसरा व्यक्ति परेशान न करें। एक साफ आसान ले। सुबह या शाम को घर के मंदिर अथवा शांत स्थान में बैठें।अपने मन को शांत करे। अब गायत्री मंत्र पर सारा ध्यान केंद्रित करें और धीरे-धीरे उच्चारण की शुरुआत करें।
गायत्री मंत्र जाप करने का तरीका
गायत्री मंत्र जाप करने के लिए सबसे पहले माला को अपने दाहिने हाथ के अंगूठे और मध्यमा उंगली के बीच रखें।
मंत्र को एक माला के एक मोती के साथ जपें, फिर अगले मोती पर जाएं।
जप खत्म होने के बाद, अपना धन्यवाद अर्पण करे। सुख शांति प्राप्ति की कामना करें।यह गायत्री मंत्र का जाप करने की एक सामान्य विधि है।
गायत्री मंत्र के लाभ
1- गायत्री मंत्र का जाप करने से दिमाग शांत रहता है,दिमाग की शक्ति बढ़ती है।
2- भौतिक क्षमता का अनंत विस्तार करता है, इस जप से उत्साह बना रहता है और सकारात्मक बढ़ने लगती है, जिससे जीवन में कई सारी बाधाएं दूर होने लगती हैं।
3- गायत्री मंत्र का जाप करने से वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में भी इच्छा पूर्ति के साथ आपकी रक्षा होती है। 108 बार गायत्री मंत्र का जप करने से बुद्धि प्रखर और किसी भी विषय को लंबे समय तक याद रखने की क्षमता बढ़ जाती है।
4- यह मंत्र व्यक्ति की बुद्धि और विवेक को निखारने का भी काम करता है।
5- इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जाप करने से आने वाले या विद्यमान रोगों और अशुभ ग्रहों के दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं, इस मंत्र के माध्यम से अपूरणीय मृत्यु तक से बचा जा सकता है। इस मंत्र के जाप से जीवन में अनेक लाभ होते है।यही कारण है कि गायत्री मंत्र को हिंदू धर्म में इतना अधिक महत्व दिया गया है।
गायत्री मंत्र 24 अक्षरों से मिलकर बना है। कहा जाता है कि इन 24 अक्षरों में चौबीस अवतार, चौबीस ऋषि, चौबीस शक्तियां, चौबीस सिद्धियां और चौबीस शक्ति बीज भी शामिल हैं। इस मंत्र के जाप से इन सभी शक्तियों का लाभ और सिद्धियों की प्राप्ति होती है. इसके शुद्ध तरीके और नियमानुसार जाप करने से जीवन की हर परेशानी दूर हो सकती है।
गायत्री मंत्र के नुकसान
गायत्री मंत्र के वैसे तो कोई नुक्सान नहीं है लेकिन इसकी सही विधि जान कर ही जाप शुरू करनी चाहिए ताकि आपको इसके अच्छे परिणाम मिले और आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सके। इसके साथ ही मंत्र जाप से होने वाले सारे लाभ आपको मिले।
मंत्र जाप से पहले इसकी शाप विमोचन विधि का पालन किया जाता है। शाप विमोचन विधि के बिना गायत्री मंत्र का जाप करने से सिर्फ मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। लेकिन आपको किसी प्रकार की सिद्धि या उपलब्धि प्राप्त नहीं हो सकती।
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