गायत्री मंत्र, जिसे वेदों का सार माना जाता है, न केवल आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में भी सहायक होता है।गायत्री मंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है और इसे हिंदू धर्म में बहुत पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है। इस मंत्र का उच्चारण मन की शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।

गायत्री मंत्र के 13 गुप्त उपाय निम्नलिखित हैं, जो कि पारंपरिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं:
गायत्री मंत्र के 13 गुप्त उपाय
1- यदि आप तीन शनिवार को संध्या के समय पीपल के पेड़ की जड़ में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पीपल के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करते हुए 7 गायत्री मंत्र का जाप करें।
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो।
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
ऐसा करने से सभी प्रकार की ग्रह बाधा और ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है।
2- ऐसा माना जाता है कि शुद्ध चन्दन की लकड़ी से गायत्री मंत्र का हवन करने से व्यापार में आने वाली सभी प्रकार की बाधा दूर होती है।
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3- यदि आप अपनी कोई मनोकामना पुरी करना चाहते हो तो इसके लिए आप 11 रविवार ब्रह्ममुहूर्त में जाग कर सूर्योदय से पहले शौचादि से निवृत हो जाएँ। एक ताम्बे के लौटे में जल भरकर उसमें थोड़ा शुद्ध चन्दन पाउडर या लाल सिन्दूर डाल कर उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय 11 बार गायत्री मंत्र का जाप करें।
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो।
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
यदि पूरे सच्चे मन से इस उपाय का 11 रविवार पालन किया जाए तो इससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और सूर्यदेव की कृपा भी प्राप्त होती है।
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4- आज के प्रतियोगितापूर्ण जीवन में किसी भी प्रकार की परीक्षा या Interview में सफलता पाने के लिए घर से निकलने से पहले एक नारियल अपने हाथ में रखकर पूर्व की दिशा की और मुख करके खड़े हो जाएँ। अपनी आँखें बंद करके 21 बार गायत्री मंत्र का जाप करें। इसके बाद नारियल को फोड़कर अपने कार्य हेतु घर से निकल जाएँ। ऐसा करने से आपको किसी भी प्रकार के Interview या परीक्षा में सफलता मिलेगी।
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो।
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
एक बात का ध्यान रखें कि नारियल फोड़कर घर से निकलते समय पीछे मुड़कर न देखें।
5- यदि आपके मन में हर समय किसी भी प्रकार का भय लगा रहता है या आप मानसिक अशांति की समस्या से परेशान हैं तो आपको रोज़ प्रातःकाल स्नानादि से निवृत होने के बाद अपने पूजा स्थल पर खड़े होकर 11 बार गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए।
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो।
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
ऐसा रोज करने से मन का भय समाप्त होता है और मानसिक अशांति की समस्या से छुटकारा मिलता है।
6- जिन लोगों को अपने जीवन के हर क्षेत्र में अपने विरोधियों की वजह से परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। विरोधियों की वजह से जिनका अपने जीवन में कोई काम नहीं बन पा रहा उन्हें रविवार, मंगलवार या अमावस्या को लाल रंग के वस्त्र धारण करके घर के पूजा स्थल पर आसन ग्रहण करके माँ गायत्री का ध्यान करते हुए “क्लीं” का संपुट लगाकर इस गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए:
क्लीं ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो।
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् क्लीं ॐ॥
इस मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। ऐसा करने से विरोधियों को हार मिलेगी, कानूनी मामलों में जीत मिलेगी, दोस्तों-रिश्तेदारों से रिश्ते अच्छे होंगे, घर-परिवार में एकता का भाव आएगा।
7- जिन लोगों को नौकरी में तरक्की नहीं मिल रही, व्यापर घाटे में जा रहा है, आमदनी बढ़ नहीं रही और खर्चे बहुत ज्यादा हो रहे हैं, आप कहीं भी जाते हैं वहां लोग आपसे प्रभावित नहीं होते, आपको सम्मान नहीं मिलता, आपका कोई भी कार्य सही ढंग से पूर्ण नहीं हो पाता, आप सही ढंग से योजनाएं नहीं बना पाते, परिस्थितियों को समझ नहीं पाते, भविष्य में आने वाली कठिनाइयों अंदाजा नहीं लगा पाते ऐसा होने पर आपको शुक्रवार के दिन पीले रंग के वस्त्र पहन कर हाथी पर विराजमान माँ गायत्री का ध्यान करते हुए “ऐं ह्रीं श्रीं” का संपुट लगाकर इस मंत्र का जाप करें
ऐं ह्रीं श्रीं ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो।
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ऐं ह्रीं श्रीं॥
इस गायत्री मंत्र का जाप भी 108 बार करें। इसका जाप करने से आपकी सभी समस्याओं का समाधान होगा। व्यक्ति की दरिद्रता दूर होगी।
8- यदि अपने जीवन में संघर्ष कर-कर के हार मान चुके है और आपको लगता है कि आपके जीवन में तरक्की के सारे मार्ग बंद हो चुके हैं तो लगातार 3 शनिवार संध्याकाल में पीपल के पेड़ के नीचे खड़े होकर 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें।
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो।
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
ऐसा करने से जीवन की समस्याओं से छुटकारा मिलता है और उन्नति के योग बनते हैं।
9- यदि आपको अपने विवाह में कई तरह की रुकावटों का सामना करना पड़ रहा है तो सोमवार को सुबह पीले रंग के कपडे पहन कर पर्व दिशा की और मुख करके बैठ जाएँ। इसके बाद गायत्री मंत्र में “ह्रीं” बीज मंत्र लगाकर गायत्री मंत्र का जप करें।
ह्रीं ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो।
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ह्रीं॥
ऐसा करने से शादी में आ रही सभी रुकावटें दूर हो जाएँगी। इससे वैवाहिक जीवन भी सुखी हो जायेगा।
10- यदि आपका बच्चा किसी गंभीर बिमारी से जूझ रहा है उसकी बीमारी ठीक नहीं हो पा रही है तो सबसे पहले आप स्वयं स्नान करें उसके बाद आप एक ताम्बे का लौटा ले लीजिये और एक ताम्बे की बाल्टी में पानी ले लीजिये। पानी मौसम के अनुसार गर्म ठंडा ले सकते हैं। इसके बाद बच्चे को पूर्व दिशा की मुख करके बैठा दें फिर ताम्बे के लौटे से गायत्री मंत्र का जाप करते हुए बच्चे के ऊपर पानी डालें।
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो।
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
ऐसे गायत्री मंत्र का जाप करते हुए 24 बार बच्चे के ऊपर लौटे से पानी डालें। बच्चे का पूरा शरीर पानी से भीग जाना चाहिए। यह उपाय 24 दिन तक करें। ऐसा करने से आपके बच्चे के दिमाग,आँखों,पैरों और चमड़ी से जुड़े सभी प्रकार के रोगों में लाभ होगा।
11- जिन लोगों के बच्चों का बौद्धिक विकास ढंग से नहीं हुआ। उनके बच्चे ढंग से पढ़ नहीं पाते उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता। बच्चे की इस समस्या को ठीक करने के लिए पहले अपने बच्चे को गायत्री मंत्र का उच्चारण करना सिखाएं। जब आपका बच्चा गायत्री मंत्र का सही उच्चारण करना सीख जाए। तो उसे घर के पूजा स्थल पर ले जाकर अपने दोनों हाथ ऊपर करके गायत्री मंत्र का 24 बार उच्चारण करवाएं।
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो।
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
इससे आपके बच्चे को निश्चित ही लाभ प्राप्त होगा। उसका पढ़ाई में मन लगने लगेगा और उसके बौद्विक विकास में भी सुधार होगा
12- यदि किसी पर प्रेत बाधा जैसी समस्या है तो उससे बचाव करने के लिए ताम्बे के लौटे में जल लेकर उसमे थोड़ा गंगाजल मिला लें इसके बाद इस लौटे को अपने हाथ में रखकर 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें। गायरी मंत्र का जाप करते समय इस बात का ध्यान रखें कि गायत्री मंत्र का उच्चारण सही होना चाहिए और जाप करते समय मानसिक रूप से एकाग्र रहें, मन में इधर-उधर के विचार न आने दें और मंत्र जाप करते इसका उच्चारण बोल कर नहीं करना मुंह बंद रख कर मानसिक जाप करना है और अपनी जिह्वा को स्थिर रखना है।
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो।
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
108 बार जाप पूरा होने के बाद उस जल के ऊपर तीन बार फूँक मार कर इस जल को पीड़ित को पीला दें।
( Note: इस उपाय का प्रयोग प्राथमिक उपचार हेतु करें इस प्रकार की कोई भी समस्या होने पर किसी विशेषज्ञ पंडित इत्यादि को अवशय दिखाएँ )
13- यदि आप अपने घर या काम करने की जगह से नकारात्मकता दूर करके उस जगह पर सकारात्मक ऊर्जा भर देना चाहते हैं तो इसके लिए एक ताम्बे के लौटे में जल ले लें। इसमें थोड़ा गंगाजल मिला लें। इसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करते हुए उस जल का अपने घर, दफ्तर अदि जगहों पे छिड़काव करें।
ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो।
देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
इससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होगा और सदैव सकारात्मकता बनी रहेगी।
ये गायत्री मंत्र के 13 गुप्त उपाय आपके सम्पूर्ण जीवन में एक सकारात्मक बदलाव ला सकते है। गायत्री मंत्र को ध्यानपूर्वक और श्रद्धा के साथ जाप करने से मानसिक शांति, आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है।गायत्री मंत्र का जाप धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, और इन उपायों का पालन करके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त की जा सकती है।
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