घर में पितरों का स्थान कैसे बनायें

घर में पितरों का स्थान कैसे बनायें

पितरों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पितृ पक्ष में उनका श्राद्ध और तर्पण करने से उनका आशीर्वाद बना रहता है। घर में पितरों का स्थान कैसे बनायें, आज इस लेख में हम आपको बताएँगे। घर में पितरों का स्थान बनाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

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घर में पितरों का स्थान कैसे बनायें

भारत में आमतौर पर यह माना जाता है कि पितरों की कृपा के बिना आप कुछ भी नहीं कर पाएंगे। यदि आपके पितृ आपसे नाराज हैं तो आपका कोई भी कार्य नहीं बनता न ही घर में लक्ष्मी का वास होता है और आप जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते

घर में पितरों का स्थान बनाने के लिए रविवार को घर में एक स्वच्छ जगह पर गंगाजल छिड़क कर स्वस्तिक बना दें फिर गाय के दूध,बताशे हरी इलायची आदि के मिश्रण से 4 ईंटों को धोने के बाद उनपर तिलक और कलावा बांधकर उस स्थान पर ईंटें रख दें और अपने पितरों वहां पर स्थापित होने की प्रार्थना करें और उन्हें भोग लगाएं। इस प्रकार आप अपने घर में पितरों का स्थान बना सकते हैं।

घर में पितरों का स्थान बनाते समय कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि पितरों का स्थान बनाने के लिए आपको अपने घर में एक शांत, स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनना चाहिए। यह ध्यान रखें कि पितरों का स्थान बनाने के लिए आपको ज्यादा बड़ी जगह की आवश्यकता नहीं है। एक छोटी जगह ही पर्याप्त है।

रविवार के दिन यह काम करने के लिए शाम का समय उपयुक्त है। निर्धारित किये गए स्थान पर गंगाजल छिड़क कर स्वास्तिक बनाने के बाद एक बड़े बर्तन ( जैसे जग, डोलू इत्यादि ) को भर कर गाय का दूध लें उसमे थोड़े से बताशे और हरी इलायची डालकर उसमे गंगाजल छिड़क दीजिये अब इसमें थोड़ी सी इंद्र जौ डाल दीजिये।

घर में पितरों का स्थान कैसे बनायें

इस मिश्रण को अच्छे से मिक्स करने के बाद 4 ईंटें ले लेनी हैं। इन ईंटों को साफ़ पानी से धो लेना है। इसके बाद दूध बताशे से तैयार मिश्रण से इन ईंटों को 3 या 5 बार स्नान कराएं। अब इन चारों ईंटों पर रोली से तिलक लगाकर उसके बाद इन ईंटों पर कलावा बाँध दें।

इसके बाद जिस स्थान पर आपने हल्दी से स्वस्तिक बनाया था उस स्थान पर एक सफ़ेद कपड़े का आसन बिछा दें और चारों ईंटों को इस कपडे के ऊपर रख दें। ईंटें रखकर अपने इष्ट देव से प्रार्थना करें कि हम अपने पितरों के लिए यह स्थान बना रहे है कृपया हमारे इस कार्य को सफल बनायें। फिर अपने पितरों से प्रार्थना करते हुए कहें कि हे मेरे पितृदेव हे मेरे ज्ञात-अज्ञात पितृदेव कृपया इस स्थान पर विराजिए और हम पर अपना आशीर्वाद बनायें रखें और हमारे जीवन को सफल बनायें।

अब थाली या किसी अन्य बर्तन में गाय के गोबर से बना उपला लें और उसे जला दें। जब उपला अच्छे से जलने लगे तो उसमें 4 लौंग और एक कपूर का टुकड़ा डालकर अपने पितरों को भोग के रूप में अर्पित करें। यह अर्पित करने के बाद वहां 5 लड्डू रखें और अपने पितरों से प्रार्थना करें, “कृपया हमारी और से अर्पित यह भोग स्वीकार करें।”

अगले दिन किसी राजगीर मिस्त्री की सहायता से उस स्थान को पक्का करवा दें। पितरों का स्थान पक्का करवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पहले पूजन में इस्तेमाल की गयी चारों ईंटों का इस्तेमाल करना है। नींव बनाते समय नींव में सबसे पहले इन चार ईंटों को लगाएं फिर दूसरी ईंटों का इस्तेमाल करते हुए पितरों का पक्का स्थान बनवा दें।

घर मर पितरों का स्थान बनने के बाद रोज़ या कम से कम अमावस्या, पूर्णिमा और श्राद्ध पक्ष ( पितृ पक्ष ) में अपने पितरों के समक्ष धूप दीप जलाएं और उन्हें लड्डू का भोग लगाएं। श्राद्ध पक्ष ( पितृ पक्ष ) में आप उन्हें वस्त्र भी अर्पित कर सकते हैं। इसके साथ ही पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण अवश्य करें। यदि आप आर्थिक रूप से सक्षम हो तो पितृ पक्ष में किसी योग्य पंडित-पुजारी को बुलाकर अपने पितरों का श्राद्ध करें।

इस प्रकार अपने पितरों का स्थान बनाकर उन्हें धूप, दीप, नैवेद्द अर्पित करने से आपके पितर आपसे प्रसन्न रहेंगे और आपकी कुंडली का पितृदोष धीरेधीरे समाप्त हो जायेगा।

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पितरों के प्रसन्न होने पर लाभ

पुराणों में ऐसा बताया गया है कि यदि आपके पितर प्रसन्न हैं तो आपके सभी कार्य बनने लगेंगे और धन धान्य की कोई कमी नहीं रहेगी। घर में आपसी प्रेम और सौहार्द बना रहता है। पितरों के प्रसन्न होने पर परिवार में कलह, विवाद और नकारात्मकता समाप्त होती है।

यदि किसी व्यक्ति के जीवन में बार-बार बाधाएँ आ रही हों, तो पितरों को प्रसन्न करने से उन्हें राहत मिलती है। पितरों की कृपा से नकारात्मक शक्तियाँ और बुरी ऊर्जा दूर रहती है और जीवन में अनहोनी घटनाओं से रक्षा होती है।

(Disclaimer: The material on hindumystery website provides information about Hinduism, its traditions and customs. It is for general knowledge and educational purposes only.)

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