हिन्दू धर्म में सभी लोग जानते हैं कि गायत्री मंत्र एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है। लेकिन गायत्री मंत्र का अर्थ व महिमा क्या है, यह बहुत ही कम लोग जानते हैं।

इसे वेदों का सार भी कहा जाता है और इसे “माँ गायत्री” का आह्वान माना जाता है, जो ज्ञान, बुद्धि और प्रकाश की देवी हैं।गायत्री मंत्र एक सार्वभौमिक मंत्र है, जो सभी देवी-देवताओं का सार है।यह एक महामंत्र है इसे वेदों की माता भी कहा जाता है।
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गायत्री मंत्र का अर्थ व महिमा
गायत्री मंत्र का अर्थ बहुत ही गहन और आध्यात्मिक है।
यदि सरल शब्दों में बताया जाए तो गायत्री मंत्र का अर्थ है “उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।” गायत्री मंत्र की महिमा यह है, कि इससे मनुष्य की बुद्धि और विवेक का विकास और आध्यात्मिक उत्थान होता है। स्वास्थय लाभ के साथ ही भय और चिंता से मुक्ति भी मिलती है। व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने के साथ ही उसे मानसिक शांति और सफलता मिलती है।
जैसा कि बताया गया है कि गायत्री मंत्र का अर्थ बहुत ही गहन है उसी प्रकार इस मंत्र की महिमा भी बहुत ही विशाल है। मंत्र के अर्थ और महिमा के बारे में आगे हम विस्तार से बताएँगे।
यदि हम गायत्री मंत्र की और अधिक सरल व्याख्या करते हैं तो वह इस प्रकार होगी कि, “हे प्रभु कृपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये। हे प्रभु ! आप हमारे जीवन के दाता हैं आप हमारे दुःख और दर्द का निवारण करने वाले हैं, आप हमें सुख और शांति प्रदान करने वाले हैं। हे संसार के विधाता हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें। कृपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखाएं।”
जब हम गायत्री मंत्र को और भी गहनता से समझने का प्रयास करते हैं तो गायत्री मंत्र में आने वाले प्रत्येक शब्द और अक्षर की अपनी एक अलग व्याख्या होती है।
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ॐ — परम ब्रह्म का प्रतीक। भूर् — भूतलोक (पृथ्वी), जीवन शक्ति। भुवः — भुवर्लोक (मध्य लोक), कष्टों से मुक्ति देने वाली शक्ति। स्वः — स्वर्गलोक, आनंद व प्रकाश का लोक। तत् — वह परमात्मा। सवितुः — सृष्टि के रचयिता (सूर्य)। वरेण्यम् — वरण करने योग्य, सर्वोत्तम। भर्गः — दिव्य तेज, जो अज्ञान नष्ट करता है। देवस्य — उस दिव्य शक्ति का। धीमहि — हम ध्यान करते हैं। धियः — बुद्धि। यः — जो। नः — हमारी। प्रचोदयात् — प्रेरित करें।
गायत्री मंत्र की महिमा भी बहुत ही विशाल है। नीचे दिए गए बिंदुओं को पढ़कर आप गायत्री मंत्र की महिमा को जान जायेंगे।
- बुद्धि और विवेक का विकास:
मंत्र का जाप मनुष्य की बुद्धि को प्रखर बनाता है और उसे सही निर्णय लेने में सहायता करता है।
- आध्यात्मिक उत्थान:
यह मंत्र व्यक्ति के आध्यात्मिक उत्थान में सहायता करता है और उसे उच्च आध्यात्मिक स्थिति की ओर अग्रसर करता है।
- मन की शांति:
मंत्र का नियमित जाप तनाव, चिंता और नकारात्मकता को दूर करता है, जिससे मन शांत और स्थिर होता है।
- एकाग्रता में वृद्धि:
गायत्री मंत्र का जाप करने से एकाग्रता में वृद्धि होती है और ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार:
यह मंत्र साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। उसके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का आवरण बनाता है और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
- कर्मों की शुद्धि और पापों का नाश:
गायत्री मंत्र का जाप करने से मन, वचन और कर्म की शुद्धि होती है और मनुष्य के पिछले पापों का क्षय (नाश) होता है।
- स्वास्थ्य लाभ:
यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इसके उच्चारण से निकलने वाली ध्वनि तरंगें मन, मस्तिष्क और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं, जिससे तनाव कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है।
- अच्छी नींद:
मंत्र का जाप करने से अच्छी नींद आती है और अनिद्रा की समस्या दूर होती है।
- तीनों लोकों का आह्वान:
“भूर् भुवः स्वः” के माध्यम से तीनों लोक की शक्तियों को आमंत्रित कर साधक अपने जीवन में संतुलन लाता है।
- नकारात्मक शक्तियों से रक्षा:
नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियाँ नहीं आतीं।
- भय और चिंता से मुक्ति:
गायत्री मंत्र का जाप मनुष्य के सभी भय और चिंताओं को दूर करता है।
- चौबीस शक्तियों का लाभ:
यह मंत्र 24 अक्षरों से मिलकर बना है। कहा जाता है कि इन 24 अक्षरों में चौबीस अवतार, चौबीस ऋषि, चौबीस शक्तियां, चौबीस सिद्धियां और चौबीस शक्ति बीज भी शामिल हैं। इस मंत्र के जाप से इन सभी शक्तियों का लाभ और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
- पवित्रता:
गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति का मन और शरीर पवित्र होता है।
- समस्याओं का समाधान:
इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन की हर परेशानी दूर हो सकती है।
- सफलता:
गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता मिलती है।
गायत्री मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सुबह और शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह के लाभ मिलते हैं।
गायत्री मंत्र भगवान् के प्रति एक भाव है ताकि हम उनसे जुड़ सकें यह मंत्र सिर्फ एक धार्मिक मंत्र ही नहीं है, बल्कि यह जीवन को ज्ञान, शक्ति और शांति से भरने वाला दिव्य स्रोत भी है। इसका नियमित जाप जीवन में संतुलन, समृद्धि और सकारात्मकता लाता है।
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