हिन्दू धर्म में माथे पर तिलक लगाना एक सदियों पुरानी परंपरा तो है ही, लेकिन क्या आप माथे पर तिलक लगाने का वैज्ञानिक रहस्य जानते हैं।

हम यह कह सकते हैं कि किसी व्यक्ति का माथे पर तिलक लगाना उसके हिन्दू होने की धार्मिक पहचान भी है। हिन्दू धर्म में माथे पर तिलक लगाना केवल मात्र एक परंपरा ही नहीं है बल्कि इसके कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। इस लेख में हम आपको माथे पर तिलक लगाने का वैज्ञानिक रहस्य बताएँगे।
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माथे पर तिलक लगाने का वैज्ञानिक रहस्य
माथे पर तिलक का विज्ञान यह है कि, माथे पर जिस स्थान पे तिलक लगाया जाता है, उसे आज्ञाचक्र कहते हैं। तिलक लगाने से यह आज्ञाचक्र सक्रिय होता है और व्यक्ति की एकाग्रता और ध्यान में वृद्धि होती है। इसके साथ ही माथे पर तिलक लगाने से मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर का स्तर संतुलित होता है। यह न्यूरोट्रांसमीटर मूड, नींद और तनाव को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आगे के बिंदुओं में हम आपको, तिलक क्यों लगाते हैं वैज्ञानिक कारण बताएँगे। जिनको पढ़ने के बाद आप माथे पर तिलक लगाने का वैज्ञानिक रहस्य जान जायेंगे।
- रक्त संचार: तिलक लगाने के लिए उपयोग किए जाने वाले चंदन, हल्दी, कुमकुम या भस्म जैसे पदार्थ शरीर पर ठंडक का प्रभाव डालते हैं। ये पदार्थ त्वचा के माध्यम से अवशोषित होकर रक्त संचार में सुधार करते हैं और दिमाग को ठंडक प्रदान करते हैं।
- मस्तिष्क को ठंडक: तिलक लगाने से मस्तिष्क को ठंडक मिलती है, जिससे तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है।
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- चेहरे की चमक: माथे पर तिलक लगाने से चेहरे की मांसपेशियों में रक्त का संचार भी सही से होता है। जिससे चेहरे की चमक बढ़ती है।
- शरीर में ऊर्जा का संचार: माथे पर तिलक लगाने से उस बिंदू पर दवाब पड़ता है जो हमारे तंत्रिका तंत्र का सबसे खास हिस्सा माना गया है। तिलक लगाने से इस खास हिस्से पर दबाव पड़ते ही ये सक्रिय हो जाता है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होने लगता है।
- सिरदर्द की समस्या में लाभ: तिलक लगाने से मस्तिष्क की तंत्रिकाएं शांत रहती हैं और इससे सिरदर्द जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: तिलक लगाने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- ध्यान-साधना: हिन्दू धर्म में विवाहित स्त्रियों द्वारा सिन्दूर का प्रयोग मांग भरने और माथे पर बिंदी लगाने के लिए किया जाता है। सिन्दूर पारे का उत्पाद है। उसे जब बिंदी के रूप में माथे पर लगाया जाता है, तो माथे के मध्य स्थित सुषुम्ना नाड़ी में उत्तेजना होने लगती है। यह उत्तेजना बिलकुल उसी प्रकार कार्य करती है जैसे ध्यान-साधना के दौरान आज्ञाचक्र पर तिलक लगाकर चेतन-अचेतन रूप से आज्ञाचक्र के प्रति सजगता बनाए रखी जाती है।
तिलक केवल धार्मिक कर्मकांड का हिस्सा नहीं है, तिलक का वैज्ञानिक महत्व भी है । यह हमारी भौतिक और मानसिक सेहत को भी प्रभावित करता है। तिलक लगाने की परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें गहराई से जुड़े वैज्ञानिक लाभ भी हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करते हैं।
हम आशा करते हैं कि तिलक का विज्ञान जानने के बाद आप, आगे से किसी भी धार्मिक महोत्सव और दैनिक दिनचर्या में तिलक लगाने से परहेज नहीं करेंगे और हिंदू धर्म में पीढ़ियों से अपनायी गयी परंपरा का पालन करते रहेंगे।
हिन्दू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक अनेकों परम्पराएं होती हैं। इन परम्पराओं के पीछे कई तरह के वैज्ञानिक कारण भी होते है जिन्हे जानना आपके लिए बहुत जरूरी है जिससे कल को अगर कोई व्यक्ति आपके सामने हिन्दू धर्म की किसी परंपरा पर सवाल उठाये तो आप उसे जवाब दे सकें।
(Disclaimer: The material on hindumystery website provides information about Hinduism, its traditions and customs. It is for general knowledge and educational purposes only.)