आज्ञा चक्र को कैसे जागृत करें

आज्ञा चक्र का संबंध अंतर्दृष्टि, मानसिक स्पष्टता, और आध्यात्मिक जागरूकता से है। आज्ञा चक्र को कैसे जागृत करें यह जान लेने के बाद आप आज से ही आज्ञा चक्र के जागरण का अभ्यास शुरू कर सकते हैं।

आज्ञा चक्र को कैसे जागृत करें

आज्ञा चक्र, मानव शरीर के सात प्रमुख चक्रों में से एक है। इसे तीसरी आँख भी कहते हैं और आज्ञा चक्र के देवता शिव हैं। यह माथे के बीचोंबीच, भौहों के ठीक ऊपर स्थित होता है।

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आज्ञा चक्र को कैसे जागृत करें|Aagya chakra kaise jagrit kare

यदि आप अपने आज्ञा चक्र को जागृत करना चाहते हैं तो इसके लिए ब्रह्ममुहूर्त में अभ्यास करना अधिक लाभप्रद होगा क्यूंकि हम रात भर सोने के बाद नींद से जागे होते हैं और हमारा मन शांत अवस्था में होता है।

आज्ञा चक्र को जागृत करने के लिए सबसे पहले आसान पर पालथी मार कर बैठ जाएँ। अपने मेरुदंड को सीधा रखें। दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें। आँखें बंद कर लें। अपने चेहरे को थोड़ा सा ऊपर उठा के रखें और दोनों भौंहों के मध्य ध्यान लगाएं। इस क्रिया को निरंतर करने से आपका आज्ञा चक्र जागृत हो जायेगा।

आज्ञा चक्र जागरण की क्रिया को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर शौचादि से निवृत होने के बाद करना अच्छा रहता है। ध्यान के लिए बैठते समय हमेशा अपनी कमर, मेरुदंड को सीधा रखना चाहिए।

आरम्भ में इस क्रिया को आप 5 मिनट से शुरू कर सकते हैं कुछ समय बाद आप जितने समय तक इस आसन में सहजता से बैठ सकें उतने समय तक आप यह अभ्यास कर सकते हैं।

यदि आप एक नए साधक हैं तो आज्ञा चक्र जागरण का अभ्यास करने से पहले त्राटक का अभ्यास करना बहुत ही हितकारी है।

आज्ञा चक्र जागरण की यह साधना यदि आप किसी गुरु, विशेषज्ञ के निर्देशों में करते हैं तो यह आपके लिए हितकारी रहेगा।

आज्ञा चक्र को जागृत होने में कितना समय लगता है, यह समय प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से अलग – अलग हो सकता है। आज्ञा चक्र की जाग्रति में लगने वाला समय अभ्यास की निरंतरता, साधक की मानसिक स्थिति और इस क्रिया को कितनी कुशलता से किया जा रहा है आदि कारकों पर निर्भर करता है।

इस प्रयोग के साथ ही नीचे दिए गए बिंदुओं का भी पालन करें। इनका पालन आपके आज्ञा चक्र जागरण में सहयोग करेगा:

  • नियमित भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास आज्ञा चक्र जागरण में सहयोगी होता है।

  • सुबह सूर्योदय के समय सूर्य की रौशनी में नंगे पैर घास पर चलें।

  • आज्ञा चक्र जागृत करने के लिए यदि आप साधना कर रहे हैं तो आपको सात्विक और शाकाहारी भोजन ग्रहण करना चाहिए। सात्विक और शाकाहारी भोजन चक्र जागरण क्रिया में लाभकारी होता है।

आज्ञा चक्र जागरण के लक्षण

आज्ञा चक्र जागरण के लक्षण अक्सर व्यक्ति की मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति में बदलाव के रूप में प्रकट होते हैं। जब आज्ञा चक्र जागृत होता है, तो व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के अनुभव हो सकते हैं। हम यहां कुछ सामान्य लक्षण बता रहे हैं जो आज्ञा चक्र के जागरण का संकेत देते हैं:

आज्ञा चक्र के सक्रीय हो जाने पर या फिर आज्ञा चक्र के जागृत होने से पहले आपको दोनों भोहों के मध्य हल्की -हल्की चुभन, खिंचाव महसूस हो सकता है

आज्ञा चक्र के जागरण के समय आपको आज्ञा चक्र पर दर्द का अनुभव भी हो सकता है। साधना के दौरान आज्ञा चक्र पर हल्का दर्द महसूस होना भी आज्ञा चक्र जागरण का एक लक्षण है।

साधना के दौरान यदि दोनों भौहों के मध्य प्रकाश पुंज नज़र आने लगे तो इसका मतलब आपका आज्ञा चक्र जागृत हो रहा है।

व्यक्ति अपने जीवन में एक शांति का अनुभव करने लगता है।

जब हमारा आज्ञा चक्र जागृत होने लगता है तो हमारी दोनों भौहों के बीच में स्पंदन होने लगता है।

किसी कार्य को करते समय इतने एकाग्र हो जाना कि पता ही न चले कि आपके आस-पास कौन आ जा रहा है, यह भी आज्ञा चक्र जागरण का एक लक्षण है

जब तृतीय नेत्र चक्र खुला होता है, तो आप अधिक संवेदनशील और अंतर्दृष्टिपूर्ण हो जाते हैं।

एक जागृत आज्ञा चक्र आपको तनाव और चिंता से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने में मदद करता है। आप अपने भीतर से जुड़ने और अपने मन को शांत करने में सक्षम होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अधिक शांति और विश्राम मिलता है।

कुछ मामलों में, व्यक्ति को बिना किसी स्पष्ट स्रोत के विभिन्न सुगंधों का अनुभव होता है।

आज्ञा चक्र के जागरण के ये लक्षण हर व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं और सभी लक्षणों का अनुभव होना आवश्यक नहीं है। यदि किसी को इन लक्षणों का अनुभव हो, तो ध्यान, योग और प्राणायाम का अभ्यास जारी रखना चाहिए, और साथ ही किसी अनुभवी योग शिक्षक या गुरु से मार्गदर्शन लेना लाभकारी हो सकता है।

आज्ञा चक्र के फायदे

आज्ञा चक्र एक शक्तिशाली ऊर्जा केंद्र है जो जागृत हो जाने पर आपके जीवन में कई लाभ ला सकता है। यहां आज्ञा चक्र के जागृत होने के कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:

  • आज्ञा चक्र के जागृत हो जाने पर व्यक्ति का मानसिक संतुलन और भावनात्मक स्थिरता बढ़ती है।

  • ऐसा होने पर साधक की जटिल समस्याओं को आसानी से समझने और हल करने की क्षमता में वृद्धि होती है।

  • आज्ञा चक्र जागरण से साधक में विचारों और भावनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ जाती है।

  • साधक को भविष्य की घटनाओं का पूर्वाभास या पूर्वानुमान होने लगता है।

  • आज्ञा चक्र जागरण से व्यक्ति में जीवन के प्रति एक नई समझ और संतोष का भाव उत्पन्न होता है।

  • इससे व्यक्ति का अधिक सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण विकसित होता है।

  • आज्ञा चक्र जागृत हो जाने पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे कार्यक्षमता और उत्पादकता बढ़ती है।

आज्ञा चक्र के जागरण के कई फायदे हैं जो व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास में सहायक होते हैं। जब आज्ञा चक्र सक्रिय होता है, तो यह व्यक्ति की मानसिक स्पष्टता, अंतर्ज्ञान, और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है।

आज्ञा चक्र के नुकसान

यह चक्र मानसिक और आध्यात्मिक गतिविधियों से जुड़ा है। यदि आज्ञा चक्र को सही तरीके से संतुलित या नियंत्रित नहीं किया जाए तो भय का अनुभव, अत्यधिक भावुकता, अत्यधिक अहंकार, दैनिक गतिविधियों में कमी, व्यावहारिकता का अभाव, अलगाव की भावना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

संभावित नुकसानों का वर्णन नीचे किया गया है:

  • भय का अनुभव: जब आज्ञा चक्र असंतुलित होता है, तो व्यक्ति को अनजाने डर या आशंकाएं हो सकती हैं, जिससे चिंता और घबराहट बढ़ सकती है।

  • अत्यधिक भावुकता: व्यक्ति अत्यधिक भावुक हो सकता है, जिससे वह छोटी-छोटी बातों पर रोने या अत्यधिक खुश होने जैसे चरम भावनात्मक प्रतिक्रियाएं दे सकता है।

  • अत्यधिक अहंकार: आज्ञा चक्र जागरण होने पर कुछ लोग खुद को दूसरों से श्रेष्ठ समझने लगते हैं, जो आध्यात्मिक अहंकार और उनके द्वारा दूसरों के प्रति अवमानना ​​का कारण बन सकता है।

  • दैनिक गतिविधियों में कमी: इस प्रक्रिया के दौरान व्यक्ति ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यास में इतना लीन हो सकता है कि वह अपनी दैनिक जिम्मेदारियों और कामों को नजरअंदाज करने लगे।

  • व्यावहारिकता का अभाव: व्यक्ति वास्तविक जीवन की समस्याओं और जिम्मेदारियों को अनदेखा कर सकता है, जिससे जीवन में असंतुलन पैदा हो सकता है।

  • अलगाव की भावना: व्यक्ति को में समाज से अलगाव की भावना उत्पन्न हो सकती है और वह दूसरों से संवाद करने में कठिनाई महसूस कर सकता है।

आज्ञा चक्र का जागरण एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव हो सकता है, लेकिन इसे सही तरीके से और सतर्कता के साथ करना चाहिए। सही मार्गदर्शन और संतुलन के साथ, आज्ञा चक्र का जागरण एक सकारात्मक और समृद्ध अनुभव हो सकता है। आज्ञा चक्र जागरण की यह साधना यदि आप किसी गुरु, विशेषज्ञ के निर्देशों में करते हैं तो यह आपके लिए हितकारी रहेगा।

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