किसी स्त्री का विधवा हो जाना जीवन की एक बड़ी त्रासदी है। क्या आप जानते हैं किस पाप के कारण स्त्री विधवा होती है। किसी भी महिला द्वारा अपने लिए एक विधवा जीवन की कल्पना करना भी भयावह होता है।

हिन्दू धर्मग्रंथों में इस विषय का वर्णन भी मिलता है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि स्त्री के विधवा होने का क्या कारण है।
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किस पाप के कारण स्त्री विधवा होती है
गरूर पुराण के अनुसार ये चार पाप ऐसे हैं जिनके कारण स्त्री विधवा होती है।
- पति से सम्बंधित व्रतों का सही पालन न करना
- पति से बात बात पर झूठ और पति की झूठी कसम
- पत्नी द्वारा मांस का सेवन करना
- पति से दुर्व्यवहार और उसे अपमानित करना
- पति से सम्बंधित व्रतों का सही पालन न करना – जो स्त्री अपने पति की आयु से सम्बंधित व्रत जैसे करवा चौथ और वट सावित्री व्रत आदि ये व्रत रखते समय पुरे विधि-विधान का पालन नहीं करती और व्रत के दौरान अपनी भूख शांत करने के लिए कुछ भी खा लेती है। ऐसी स्त्री के पति की आयु कम होना निश्चित है और उसका ये कर्म उसके पति की भविष्य में अकाल मौत का कारण भी बन सकता है
- पति से बात बात पर झूठ और पति की झूठी कसम – गरुड़ पुराण के अनुसार पत्नी का बात-बात पर झूठ बोलना, बिना किसी कारण के छोटी – छोटी बातों पर अपने पति से झगड़ा करना, खुद को सही साबित करने के लिए अपने पति की झूठी कसम खाना और पति को अपशब्द कहना उसके पति की अकाल मृत्यु होने और उसके विधवा होने का कारण बनता है।
- पत्नी द्वारा मांस का सेवन करना – गरुड़ पुराण कहता है कि यदि कोई स्त्री मांस का सेवन करती है, Non Vegetarian है तो उसका पति सदैव किसी न किसी समस्या में फंसा रहता है और पत्नी द्वारा किया गया ये पाप कर्म उसके पति की मौत का कारण भी बन सकता है।
- पति से दुर्व्यवहार और उसे अपमानित करना – गरुड़ पुराण में बताया गया है कि यदि कोई स्त्री अपने पति के लिए पूरी निष्ठाभाव से व्रत-पूजन इत्यादि करती तो है किन्तु दूसरी तरफ अपने पति का अपमान भी करती है, उसके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल भी करती है तो उसके इन पाप कर्मों के कारण उस स्त्री द्वारा किये व्रत – पूजन आदि निष्फल हो जाते हैं, और उस स्त्री को पति के सुख से सदैव के लिए वंचित होना पड़ सकता है।
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इस प्रकार गरुड़ पुराण हमें बताता है कि एक महिला को अपने सुहाग को सुरक्षित रखने के लिए किस प्रकार के कर्मों से दूर रहना चाहिए। एक संयमित और अनुसाशित जीवन जीना चाहिए और पूजा-पाठ, व्रत आदि करते समय उनका पूर्ण विधि से पालन करना चाहिए।
इन पाप कर्मों के अलावा भी बहुत से ऐसा कार्य होते हैं जिनको करने से उनके पति की आयु कम होती है। ये कार्य इस प्रकार हैं :
- एक महिला अगर वीरवार ( बृहस्पति ) के दिन बाल धोती है तो उसका ऐसा करना उसके पति और पुत्र के लिए संकट कारक हो सकता है।
- जो महिलायें अपने सुहाग की निशानी जैसे मंगलसूत्र और सिन्दूर को अपने रोजमर्रा के जीवन में धारण नहीं करती उन महिलाओं का यह कार्य उनके पति की आयु पूरी होने से पहले ही उनकी मृत्यु का कारण बन सकता है।
- जो स्त्री अपने पति के होते हुए भी पराए पुरुष से सम्बन्ध रखती है अर्थात एक व्यभिचारी स्त्री समय से पहले ही विधवा हो जाती है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।
यदि महिलायें शास्त्रों में दी गयी चेतावनी को ध्यान में रखते हुए इन कार्यों को करने से बचती हैं तो वह बहुत सी परेशानियों से बच सकती हैं और आने वाले संकटों को टाल सकती हैं।
क्या विधवा महिला से सम्बन्ध बनाने से पाप लगता है
यह एक संवेदनशील विषय है। इस कलयुग में वर्तमान समय के सामाजिक माहौल में लोगों द्वारा इस तरह के बुरे कर्म किये जाते हैं। ऐसे में हमारा धर्म हमें यह आज्ञा देता है की हम सामान्य जन तक यह बात पहुंचाएं की हमारे धर्म में इन कार्यों को पाप कर्मों की संज्ञा दी गयी है। वर्तमान परिस्थितियों में बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि यदि विधवा स्त्री से संबंध बन चुका हो तो उसका क्या दंड मिलता है अथवा क्या विधवा महिला से सम्बन्ध बनाने से पाप लगता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी विधवा स्त्री से सम्बन्ध रखता है तो वह पाप का भागी होता है और उसे मृत्युलोक में भयानक सजाएँ मिलती हैं।
पुरुष और महिला के बीच भले ही आपसी सहमति हो तब भी यह सम्बन्ध निषेद है और पाप की श्रेणी में आता है। हिन्दू धर्मग्रंथों में कहा गया है पुरुष को विधवा स्त्री के साथ विवाह किये बिना कभी कोई शारीरिक सम्बन्ध नहीं रखना चाहिए।
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