माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद माँ सिद्धिदात्री की आरती करनी चाहिए। यह आरती भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाती है और भक्तों को सुख-समृद्धि प्रदान करती है।

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माँ सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।।
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम।
हाथ सेवक के सर धरती हो तुम।।
तेरी पूजा में न कोई विधि है।
तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है।।
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।।
तू सब काज उसके कराती हो पूरे।
कभी काम उस के रहे न अधूरे।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया।।
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महानंदा मंदिर में है वास तेरा।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता।।
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता।।
जय माँ सिद्धिदात्री!
माँ सिद्धिदात्री नवदुर्गा के नौवें स्वरूप की देवी हैं और सभी सिद्धियों की दात्री मानी जाती हैं। उनके पूजन से साधक को सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और वह जीवन में सफल होता है।
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