गोपाष्टमी का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस लेख में हम आपको बताएँगे कि गोपाष्टमी के व्रत में क्या खाना चाहिए, साथ ही इस लेख में आपको बताएँगे गोपाष्टमी व्रत कथा क्या है और आप जानेंगे पूजा विधि और इस गोपाष्टमी पर्व का महत्व क्या है।
इस दिन भगवान कृष्ण और गाय की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है। गाय को सभी देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। इसलिए गोपाष्टमी के दिन गाय की पूजा करने से व्यक्ति को सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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गोपाष्टमी के व्रत में क्या खाना चाहिए
Gopashtami का व्रत भगवान कृष्ण और गाय की पूजा के लिए रखा जाता है। इस दिन व्रत करने वाले लोग दिनभर कुछ भी नहीं खाते हैं और शाम को पूजा के बाद फलाहार करते हैं। यदि आपके लिए निराहार व्रत रखना संभव नहीं है तो आप दिन के समय भी फलाहार कर सकते हैं।
गोपाष्टमी व्रत कथा
गोपाष्टमी व्रत कथा के अनुसार भगवान् श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को इन्द्र देव को दी जाने वाली वार्षिक भेंट देने से रोकने का सुझाव दिया था। भगवान कृष्ण के इस सुझाव को जब ब्रजवासियों ने मान लिया तो इससे इन्द्र देव अत्यंत क्रोधित हो गए थे। इसीलिए उनहोंने ब्रज क्षेत्र को बाढ़ में डुबाने का निर्णय लिया। कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को इंद्र देव ने इंद्रजाल से ब्रज को जलमग्न करने का प्रयास किया।
भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों और गोवंश की रक्षा के लिए अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और इंद्र देव के इंद्रजाल को नष्ट करते हुए समस्त ब्रजवासियों और पशुधन को गोवर्धन पर्वत की विशाल छत्रछाया के नीचे सुरक्षित कर लिया था। इसके बाद इंद्र देव को अपनी गलती का अहसास हुआ और वे भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगने गोकुल पहुंचे।
इंद्र देव को क्षमा करते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, “हे इंद्र देव, तुमने ब्रज को जलमग्न करने का प्रयास किया, लेकिन मैंने तुम्हारे प्रयास को विफल कर दिया। आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। आज से इस तिथि को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन लोग गाय की पूजन और गौ सेवा करेंगे।
तभी से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। गायों, बछड़ों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
गोपाष्टमी पूजा विधि
गोपाष्टमी पूजा सामग्री
- फूल-माला
- चंदन
- धूप
- दीप
- फल
- मिठाई
- आटे व गुड़ की भेली
- पकवान
- आरती की थाली
गोपाष्टमी पूजा विधि इस प्रकार है:
- गोपाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर शौचादि से निवृत होकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
- फिर किसी मंदिर में जाएं या घर पर ही गाय की पूजा करें।
- गाय को स्नान कराएं और उसे फूल-माला पहनाएं और चंदन का तिलक लगाए।
- फिर उसे फल, मिठाई, आटे व गुड़ की भेली, पकवान आदि खिलाएं और धूप-दीप जलाकर आरती उतारें।
- इसके बाद भगवान कृष्ण की भी पूजा करें। उन्हें भोग लगाएं और उनकी आरती करें।
- इस दिन व्रत करने वाले लोग दिनभर कुछ भी नहीं खाते हैं और शाम को पूजा के बाद फलाहार करते हैं।
गोपाष्टमी मंत्र
- ॐ कामधेनु नमो नमः
यह मंत्र गाय को कामधेनु का रूप मानकर किया जाता है। इस मंत्र का जाप करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
यह मंत्र भगवान कृष्ण का है। इस मंत्र का जाप करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों को उनकी पूजा का फल मिलता है।
इन मंत्रों का जाप करते समय मन को एकाग्र रखना चाहिए। इससे मंत्रों का प्रभाव अधिक होता है।
गोपाष्टमी पूजा का महत्व
गोपाष्टमी के दिन गाय की पूजा करने से भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान कृष्ण गाय को माता मानते हैं। इसलिए, गाय की पूजा करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा करते हैं।
गोपाष्टमी के दिन गाय की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गाय को कामधेनु का रूप माना जाता है। कामधेनु गाय सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली है। इसलिए, गाय की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस दिन गाय की पूजा करके हम भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि ला सकते हैं।
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