भानु सप्तमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भानु सप्तमी पर्व के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं । इसीलिए इस दिन लोग सूर्यदेव की पूजा अर्चना करते हैं।
भानु सप्तमी व्रत कथा
भानु सप्तमी का पर्व सूर्य भगवान् को समर्पित है। इस दिन जो लोग पूर्ण विधि-विधान से सूर्य भगवान् की पूजा करते है, भानु सप्तमी कथा कहते या सुनते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
भानु सप्तमी व्रत कथा:
भानु सप्तमी की व्रत कथा के अनुसार प्राचीनकाल में इंदुमती नाम की एक वेश्या हुआ करती थी। उसने अपना पूरा जीवन इसी वेश्यावृत्ति में गुजारा था। इंदुमती ने कभी भी कोई धार्मिक कर्मकांड या फिर कोई पुण्य कर्म नहीं किया था। एक दिन उसके मन में मरणोपरांत मोक्ष प्राप्ति का विचार आया। फिर उसने सोचा कि उसने जीवन में कभी कोई पूजा-पाठ या धार्मिक कार्य नहीं किया। फिर भला उसे मोक्ष कैसे मिल सकता है।
मोक्ष प्राप्ति की इसी महत्वकाँक्षा के साथ वह ऋषि वशिष्ठ के पास गयी। उसने उनसे पूछा कि हे ऋषिदेव मैंने अपने जीवन में कभी भी कोई धार्मिक कार्य और पुण्य कर्म नहीं किया। किन्तु इस समय मेरे मन में मोक्ष प्राप्ति की अभिलाषा है हे ऋषिवर कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मेरे जैसी महिला जिसने पूरा जीवन वैश्यावृत्ति में गुजारा हो, उसे मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति हो।
इंदुमती के ये वचन सुनकर ऋषि वशिष्ठ को उसपर दया आ गयी। उनहोंने कहा हे इंदुमती, स्त्रियों को सौभाग्य, सुख और मोक्ष प्रदान करने वाला एक ही व्रत है। वह व्रत है “भानु सप्तमी व्रत”। इस दिन जो भी महिला व्रत रखती है, पुरे विधि विधान से सूर्य देव की पूजा-अर्चना करती है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तुम भी व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा करना। तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
इंदुमती ने ऋषि वशिष्ठ के कहे अनुसार पुरे विधि-विधान और और निष्ठा के साथ भानु सप्तमी का व्रत रखा और सूर्य देव की पूजा करी। इसके फलस्वरूप मरने के बाद इंदुमती को मोक्ष की प्राप्ति हुई, वह जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो गयी। यह व्रत का ही फल था कि उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई और उसे स्वर्ग में अप्सराओं की नायिका के रूप में स्थान मिला। तभी से भानु सप्तमी का व्रत रखने की परंपरा की शुरुआत हो गयी और लोग हर भानु सप्तमी पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखकर सूर्य देव की पूजा अर्चना करते हैं।
यह थी भानु सप्तमी व्रत कथा। हमारी मनोकामनाएं यही हैं कि इस भानु सप्तमी तिथि पर आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों।
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भानु सप्तमी पूजा विधि
पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भानु सप्तमी की पूजा करने से सभी तरह की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सूर्यदेव जीवन में खुशियों का आशीर्वाद देते हैं।
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शौचादि से निवृत होने के बाद स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- सूर्य उदय के पश्चात पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान सूर्य का ध्यान करें।
- ताम्बे के लोटे में जल, थोड़ा सा गंगाजल, लाल फूल, अक्षत ( चावल ) डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। सूर्य देव को जल चढ़ाते समय भानु सप्तमी मंत्र ॐ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
- सूर्य भगवान् को झुककर प्रणाम करें और सूर्य देव को दिए गए अर्घ्य से अपने मस्तक पर तिलक लगाएं।
- इसके बाद धूप दीप से सूर्य देव का पूजन करें।
- भानु सप्तमी के व्रत का संकल्प लें।
- पूरे दिन निराहार रहें। फलों का सेवन कर सकते हैं।
- शाम को सूर्यास्त के समय फिर से भगवान सूर्य की पूजा करें।
- व्रत का समापन करें।
भानु सप्तमी पर दान
भानु सप्तमी पर दान करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। इस दिन निम्नलिखित चीजों का दान करना शुभ माना जाता है:
- पीले या लाल वस्त्र
- ताम्बे के बर्तन
- पीले फल
- गुड़
- गेंहु
अपनी क्षमता और श्रद्धा के अनुसार इनमे से किसी भी वस्तु का दान किया जा सकता है
भानु सप्तमी का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति का सूर्य कमजोर है तो उसे सूर्य नारायण की पूजा करनी चाहिए। पौराणिक ग्रन्थ भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि भगवान् श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र को सूर्य पूजा का महत्व बताया है। भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है कि सूर्यदेव एक प्रत्यक्ष देवता हैं। अर्थात ऐसे भगवान हैं जिन्हें रोज देखा जा सकता है। पुराणों के अनुसार भानु सप्तमी की तिथि को जो भी सूर्य देव की उपासना तथा व्रत करते हैं, वो सभी शारीरिक कष्टों से मुक्ति पाते हैं ।
भानु सप्तमी के व्रत-पूजन से होने वाले लाभों से इस तिथि का महत्व ओर भी बढ़ जाता है।
- भानु सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ती होती है।
- सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के दुखों और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। सूर्य देव को जीवन का आधार माना जाता है। सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है।
- इस तिथि पर सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है। सूर्य देव को ऊर्जा का भी कारक माना जाता है। सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति में ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है।
- ज्योतिष शास्त्र कहता है कि भानु सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह की अशुभता दूर होती है। शास्त्रों में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। सूर्य की अशुभता से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। भानु सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह की अशुभता दूर होती है और व्यक्ति को मानसिक शान्ति और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
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