गोवत्स द्वादशी पूजा विधि

गोवत्स द्वादशी पूजा विधि

गोवत्स द्वादशी पूजा विधि: गोवत्स द्वादशी हिंदू धर्म का एक त्योहार है जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। यह गाय और बछड़े को समर्पित है, और इसे विशेष रूप से उनकी पूजा करने के लिए एक शुभ दिन माना जाता है।

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गोवत्स द्वादशी पूजा विधि

महिलाओं द्वारा, गोवत्स द्वादशी पूजा विधि का पालन करते हुए यदि सच्चे मन और श्रद्धा भाव के साथ व्रत किया जाता है तो उनकी संतान पर आने वाले सभी संकट टल जाते हैं। इस व्रत के बारे में मान्यता यह है की इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान् श्रीकृष्ण आपकी संतान की हर संकट से रक्षा करेंगे।

पूजा सामग्री :

  1. धूप
  2. चन्दन
  3. गंगाजल
  4. एक लोटा जल, चम्मच
  5. अक्षत ( चावल )
  6. फूलों का हार, साथ में कुछ खुले फूल
  7. भगवान् श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर
  8. गुड़
  9. आटे की लोई
  10. फल या मिठाई
  11. यदि आपको अपने घर के पास गाय व बछड़ा नहीं मिले तो आप शुद्ध गीली मिटटी से गाय व बछड़े की मूरत बनाकर उसकी पूजा भी कर सकते हैं।

गोवत्स द्वादशी पूजा विधि

  • सबसे पहले सुबह उठकर शौचादि से निवृत होने के बाद स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • इसके बाद अपने घर के मंदिर या पूजा स्थल पर भगवान् श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें।

  • इसके बाद भगवान् के समक्ष आसान ग्रहण करें।

  • एक दीपक जलाएं और भगवान कृष्ण को धूप अर्पित करें।

  • यह पूजन कार्य करने के पश्चात गाय और उसके बछड़े की श्रद्धापूर्वक पूजा करें। उन्हें चन्दन का तिलक लगाएं।

  • इसके बाद गाय और उसके बछड़े को आटे की लोई में गुड़ रखकर खिलाएं।

  • एक बर्तन पानी में चावल और खुशबु मिलाकर मंत्र का जाप करते हुए उनके पैर धोएं।

                                               क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
                                               सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥
  • इसके बाद गोमाता की आरती करें। इस प्रकार गोमाता की पूजा संपन्न हुई।

  • अब गोवत्स द्वादशी की कथा सुनें। इसे ही भारतवर्ष में बहुत से स्थानों पर बछ बारस की कथा भी कहा जाता है।

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इस दिन माताएं चाकू से कटा भोजन न ही खाती हैं न ही बनाती हैं साथ ही इस दिन दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे दही, मक्खन को अपने भोजन में शामिल नहीं करना चाहिए। साथ में गौ माता और बछड़े को मूंग मोठ को भिगोकर उन्हें अकुरिंत कर खिलाएं। इस प्रकार गोवत्स द्वादशी पूजा विधि और नियमों का पालन करते हुए पूजा करने से भगवान् श्रीकृष्ण की कृपा आप पर बनी रहेगी और आपको अपने जीवन में खुशहाली और सौभाग्य की प्राप्ति होगी।

यह व्रत महिलायें अपनी संतान की कुशलता और उसकी लम्बी आयु के लिए करती है। यह व्रत उन महिलाओं द्वारा भी रखा जाता है जो भगवान् से संतान सुख का आशीर्वाद पाना चाहती हैं।

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