घर में बहुत से व्रत और पूजा की जाती है और हमेशा पंडित जी को बुलाना संभव नहीं होता। ऐसे में आप घर में स्वयं भी व्रत संकल्प ले सकते हैं। आज आपको बताएँगे कि घर में पूजा पाठ करते समय व्रत का संकल्प कैसे लें। संकल्प का अर्थ यह है कि आप भगवान् को साक्षी मानकर यह व्रत और पूजन का कार्य कर रहे हैं और पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा भाव के साथ आप इस पूजा को अवशय पूर्ण करेंगे।

शास्त्रों में कहा गया है कि संकल्प लेने का अर्थ है कि आप ये प्रतिज्ञा लेते हैं कि आप अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए व्रत पूजन को सभी विधि विधान के साथ संपन्न करेंगे। इस लेख को पढ़ने के बाद आपको vrat sankalp vidhi से जुड़े अपने सभी प्रश्नों का समाधान मिल जायेगा।
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व्रत का संकल्प कैसे लें | Vrat ka sankalp kaise le
व्रत संकल्प लेने के लिए आप आप अपने हाथ में चावल, दूर्वा, पुष्प और श्रद्धा के अनुसार कुछ दक्षिणा लेकर भगवान् से प्रार्थना करें कि हे भगवान् मेरी इस पूजा और व्रत को स्वीकार करें और अपना आशीर्वाद दें।
इसके बाद आप नीचे बताये गए तरीके के अनुसार भगवान् के सामने संकल्प लें। आगे बताई जा रही विधि का प्रयोग करके आप ekadashi vrat sankalp भी कर सकते हैं। इसके साथ ही विधि का प्रयोग कर हर तरह के व्रत का संकल्प लिया जाता है
संकल्प मंत्र: ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु, ॐ नम: परमात्मने श्री पुराणपुरुषस्य श्री विष्णुराज्ञय प्रवर्त्तस्याद्य श्री ब्राह्मणो द्वितीय परार्धे श्री श्वेत वराह कलपे वैवस्वत मन्वंतरेअष्टाविंशतिमे कलियुगे कलि प्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भारत खंडे आर्यवंतार्गत ब्रह्मावर्तेक देशे पुण्यप्रदेशे
जिन्हे संकल्प संस्कृत में बोलना नहीं आता वो हिंदी या अपनी भाषा में बोल सकता है।
जैसे, sankalp mantra in hindi:
हे प्रभु, मेरा नाम —— , अमुक का पुत्र , अमुक गोत्र मे उत्तपन , अमुक स्थान , अमुक राज्य , अमुक भवन क्रमांक मे अमुक संवत्सर ( संवत्सर का नाम ) ( संवत्सर की संख्या ) अमुक वार अमुक पक्ष , अमुक तिथि पर अमुक कार्य हेतु अमुक देवता की कृपा सहायता प्राप्ति हेतु अमुक मंत्र , अमुक पाठ का अमुक संख्या मे जाप या पाठ मेरे द्वारा किया जा रहा है, हे परमात्मा मेरी पूजा स्वीकार करें, मेरी मनोकामनाएं पूर्ण करें।
( जिन स्थानों पर अमुक शब्द का प्रयोग किया गया है, उन स्थानों पर आगे दिए गए निर्देशों के अनुसार अपना, अपने पिता, अपने गोत्र आदि का लेते जायें )
इसके बाद हाथ में ली गयी सामग्री को नीचे छोड़ दो। बाद में हाथ में लिए गए रुपये मंदिर में या फिर किसी जरूरतमंद को दान कर दें।
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व्रत संकल्प करने के लिए हमेशा दाहिने हाथ का इस्तेमाल किया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार किसी भी पूजा या व्रत से पहले संकल्प लेना बहुत जरूरी होता है। माना जाता है कि यदि पूजा और व्रत का संकल्प ना लिया जाए तो पूजा का फल प्राप्त नहीं होता और सारा फल इंद्र देव को चला जाता है। कोई भी पूजा-पाठ, व्रत इत्यादि बिना संकल्प के किया जाए तो उसे पूर्ण नहीं माना जाता।
आशा करते हैं की आपको यह लेख पढ़ने के बाद आप अच्छी प्रकार से जान गए होंगे कि व्रत का संकल्प कैसे लें। शास्त्रों में बताया गया है कि यदि कोई भी श्रद्धालु किसी भी प्रकार की पूजा या व्रत करने से पहले पूरे भक्ति भाव से पूजा और व्रत का संकल्प लेता है तो उसे व्रत-पूजन का फल अवशय मिलता है।
(Disclaimer: The material on this website provides information about Hinduism, its traditions and customs. It is for general knowledge and educational purposes only.)