जैसे माँ लक्ष्मी धन की देवी हैं उसी तरह कुबेर महाराज सभी देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। वे उत्तर दिशा के लोकपाल और यक्षों के राजा हैं। कुबेर महाराज की पूजा धनतेरस और दिवाली के दिन विशेष रूप से की जाती है। दीवाली से पहले धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी के साथ कुबेर महाराज की पूजा और उसके बाद Kuber Ji Ki Aarti करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
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Kuber Ji Ki Aarti
कुबेर महाराज बहुत दयालु और उदार हैं। वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें धन-धान्य से संपन्न करते हैं। कुबेर महाराज की पूजा करने से धन, समृद्धि, ऐश्वर्य और खुशहाली प्राप्त होती है। इस लेख में आपको उपलब्ध करा रहे हैं Kuber Ji Ki Aarti lyrics के साथ।
ॐ जय यक्ष कुबेर हरे।
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे। ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करे॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे ॥
आरती में, कुबेर जी की महिमा का वर्णन किया गया है। उन्हें भंडार कुबेर कहा जाता है, क्योंकि उनके पास अनंत धन-धान्य है। वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें धन-धान्य से संपन्न करते हैं। पूजा करने के बाद कुबेर जी की आरती को पढ़ने से जीवन की धन सम्बन्धी समस्याएं दूर होती हैं।
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