Skandmata ki Aarti : स्कंदमाता नवरात्रि के पांचवें दिन की देवी हैं। वे भगवान स्कंद की माता हैं, जिन्हें कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है। स्कंदमाता एक सिंह पर सवार हैं। स्कंदमाता को सभी प्रकार की विपत्तियों से मुक्ति दिलाने वाली देवी माना जाता है। वे ज्ञान और बुद्धि की देवी भी हैं। स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार के सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
पांचवें नवरात्र पर पूर्ण विधि-विधान से स्कंदमाता की पूजा करने के बाद Skandmata ki Aarti अवश्य करें। इससे माँ प्रसन्न होतीं हैं।
Skandmata ki Aarti
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाडो पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी॥
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स्कंदमाता का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
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