मूलाधार चक्र जिसे संस्कृत में “मूलाधार” कहा जाता है। क्या आप जानते हैं मूलाधार चक्र क्यों खराब होता है जो कि शरीर के सात प्रमुख चक्रों में सबसे पहला और आधारभूत चक्र होता है। यह रीढ़ की हड्डी के निचले भाग में स्थित होता है और सुरक्षा, स्थिरता और अस्तित्व की भावना के साथ ही भौतिक आवश्यकताओं से जुड़ा होता है।

मूलाधार चक्र क्यों खराब होता है
मूलाधार चक्र के खराब होने का कोई एक कारण न होकर कई कारण हो सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति के मन में आर्थिक, पारिवारिक या सामाजिक असुरक्षा की भावना हो या फिर अत्यधिक चिंता के साथ ही जीवन की अस्थिरता जैसे घर अथवा नौकरी का बार-बार बदलते रहना और शारीरिक निष्क्रियता भी मूलाधार चक्र में खराबी का कारण हो सकती है।
मूलाधार शरीर का सबसे महत्वपूर्ण चक्र होता है। जब मूलाधार चक्र muladhara chakra खराब होता है, तो यह कई तरह की शारीरिक और भावनात्मक समस्याओं का कारण बन जाता है।
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व्यक्ति में अगर बहुत अधिक असुरक्षा की भावना पनप रही है। उसको आर्थिक, पारिवारिक या सामाजिक असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा हो तो उसका मूलाधार चक्र प्रभावित होता है। जिसके फलस्वरूप यह चक्र असंतुलित हो सकता है।
वर्तमान समय की जीवनशैली के कारण लोगों का लंबे समय तक तनाव में रहना एक आम समस्या बन चूका है इस वजह से भी मूलाधार चक्र का संतुलन बिगड़ जाता है।
जीवन की अस्थिरता और जीवन में लगातार संघर्ष जैसी परिस्थितियाँ भी मूलाधार चक्र में खराबी का कारण बनती हैं। इसके साथ ही आज की आधुनिक जीवनशैली में लोगों का शारीरिक व्यायाम न करना और ज़्यादा समय तक मानसिक गतिविधियों में लगे रहना एक शारीरिक निष्क्रियता है जो मूलाधार चक्र में खराबी का कारण बनती है।
मूलाधार चक्र खराब होने से क्या होता है
जब मूलाधार चक्र (Root Chakra) असंतुलित या “खराब” होता है, तो उसका असर शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तीनों स्तरों पर देखा जा सकता है। यह चक्र हमारे अस्तित्व, सुरक्षा और स्थिरता की जड़ है — इसलिए अगर इसमें ख़राबी या असंतुलन आता है, तो व्यक्ति खुद को पूरी तरह “असंरक्षित” महसूस करने लगता है।
मूलाधार चक्र के रोग
मूलाधार चक्र खराब होने से व्यक्ति को पीठ के निचले हिस्से में दर्द के साथ ही पाचन संबंधी दिक्कतें होती है। शरीर में कमजोरी और थकान का भी अनुभव होता है। व्यक्ति में गुस्सा और चिड़चिड़ापन के साथ ही उसमें अलगाव की भावना पनपने लगती है और वह लोगों से कटा-कटा रहने लगता है।
मूलाधार चक्र की खराबी लोगों को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रभावित करती है। लोगों को शरीर में पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज़, गैस, अपच आदि की समस्या होने लगती है।
शरीर में दर्द विशेष रूप से पीठ के निचले हिस्से में दर्द की समस्या होने लगती है। इसके साथ ही शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति को कमज़ोरी और थकान अनुभव होने लगती है।
मूलाधार चक्र खराबी व्यक्ति को भावनात्मक रूप से गुस्सैल और चिड़चिड़ा बना देती है। अलगाव की भावना पनपने के कारण वह लोगों से कटा-कटा रहने लगता है जिसकी वजह से संबंधों में भी परेशानियां आने लगती हैं।
मूलाधार चक्र में “खराबी” की वजह से जीवन के बहुत से हिस्सों पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए यदि आप एक सुखी और संतुष्ट जीवन जीना चाहते हैं तो आपको अपने मूलाधार चक्र के संतुलन के प्रति सदैव सजग रहना चाहिए। अगर आप चाहें तो मूलाधार चक्र सम्बन्धी ध्यान साधना भी कर सकते हैं।
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