मोक्षदा एकादशी का व्रत कैसे करें

मोक्षदा एकादशी ( Mokshada Ekadashi ) का व्रत मोक्षकारक होता है इसीलिए इस व्रत को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हम आपको बातएंगे कि मोक्षदा एकादशी का व्रत कैसे करें जिससे आप मोक्ष के भागी बनें और साथ ही आपके पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति हो, इससे प्रसन्न होकर आपके पितर भी आपको आशीर्वाद देंगे। आपके वर्तमान जीवन में भी सुख-समृद्धि और खुशियां आ जाएँगी। अपनी इन्हीं सब खूबियों की वजह से मोक्षदा एकादशी का व्रत हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है।

मोक्षदा एकादशी का व्रत कैसे करें

मोक्षदा एकादशी व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त कराती है। पूर्ण विधि-विधान के साथ इस एकादशी व्रत का पालन करने वाला व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति करता है। मोक्षदा एकादशी के व्रत में भगवान् विष्णु और साथ में माता लक्ष्मी की भी पूजा करी जाती है।

व्रत सामग्री :

  • धूप
  • दीप
  • देसी घी
  • फूलों की माला , कुछ खुले फूल
  • एक लौटा जल
  • गंगाजल
  • अक्षत ( चावल )
  • चम्मच
  • तुलसी के पत्ते
  • मिठाई
  • फल

इसे भी पढ़ें :

मोक्षदा एकादशी व्रत विधि

  • सुबह जल्दी उठकर शौचादि से निवृत होकर स्नान करें।
  • इसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  • अपने घर में बने मंदिर या फिर घर के पूजा-स्थल की साफ़-सफाई करें।
  • मंदिर में भगवान् विष्णु के चतुर्भुज स्वरुप की मूरत स्थापित करें मूरत न होने पर आप भगवान् विष्णु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं।
  • इसके बाद भगवान् के सामने आसन ग्रहण करें।
  • पूजा शुरू करने से पूर्व जल आचमन करें
  • अब भगवान् के समक्ष घी का दीपक और धूप जलाएं। ठण्ड के मौसम में यदि घी का दीपक जलाना संभव न हो तो आप दूसरा कोई वनस्पति तेल ले सकते हैं। जैसे : तिल का तेल, सरसों का तेल इत्यादि।
  • इसके बाद भगवान् के सामने व्रत संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु को फूलों की माला पहनाएं।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान् के चरणों में तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
  • इसके बाद भगवान् को मिठाई और फलों का भोग लगाएं।
  • इसके बाद एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
  • इस व्रत में एकादशी व्रत कथा सुनने/पढ़ने के बाद विष्णु सहस्त्र्नाम का पाठ करना शुभ होता है।
  • इसके बाद भगवान् विष्णु की आरती उतारें।
  • दिन भर फलाहार उपवास करें।
  • शाम को फिर से भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • अगले दिन पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें।
  • दान-पुण्य करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

इसे भी पढ़ें :

यदि आप इस व्रत में भगवान् विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी की भी पूजा करना चाहते हैं तो मूर्ति की स्थापना के समय भगवान् विष्णु जी के साथ माँ लक्ष्मी की भी स्थापना करें। बाकि सारी पूजा विधि उसी प्रकार रहेगी

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है जो इस पवित्र एकादशी के महत्व को दर्शाती है। एकादशी व्रत के दौरान इस कथा को पढ़ने/सुनने का विशेष महत्व है आज मैं आपको मोक्षदा एकादशी कथा सुनाता हूँ:

पुराणों के अनुसार पुराने समय की बात है, गोकुल नामक एक नगर में वैखानस नामक धर्मात्मा राजा राज्य करता था। वैखानस अपनी प्रजा का अपने पुत्र की भांति पालन करता था। उसके राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहते थे। उसका राज्य हर प्रकार से सुख समृद्धि से पूर्ण था।

एक रात की बात है राजा ने नींद में एक स्वप्न देखा। उसने देखा कि उसके पिता नरक में हैं और दुख भोग रहे हैं। सुबह होने पर राजा अपने स्वप्न के बारे में सोचकर बहुत चिंतित हो गया। उसने तुरंत ही अपने दरबार में बुद्धिमान ब्राह्मणों को बुलाया और अपना स्वप्न सुनाया।

राजा के स्वप्न के बारे में जानकर ब्राह्मणों ने राजा को बताया कि उनके पिता के कर्मों के कारण ही वे नरक में हैं। लेकिन, यदि आप अपने पिता को इन कष्टों से मिक्ति दिलाना चाहते है तो आप मोक्षदा एकादशी का व्रत करें और पुण्यफल अपने पिता को समर्पित करें ऐसा करने से उन्हें वहाँ से मुक्ति मिल सकती है।

राजा वैखानस ने अपने पूरे परिवार के साथ मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने का निश्चय किया। उन्होंने ब्राह्मणों द्वारा बताई विधि के अनुसार पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। भगवान विष्णु की पूजा की, दान दिया और यज्ञ किया और व्रत के पुण्यफल को राजा ने अपने पिता को समर्पित किया।

इस प्रकार पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ किये गए व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को नरक से मुक्ति मिल गई और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई। स्वर्ग जाते समय राजा ने अपने पुत्र के स्वप्न में आकर उसे बताया कि , मेरे लिए किया गया तुम्हारा यह व्रत सफल रहा।

इस प्रकार मोक्षदा एकादशी व्रत कथा हमे बताती है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत पापों को नष्ट करता है, मोक्ष प्रदान करता है और पूर्वजों के दुखों को भी दूर करता है। हमें भी हमारे पितरों/पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में खुशियां बनी रहती हैं।

इसके साथ ही, मोक्षदा एकादशी गीता जयंती के साथ भी जुड़ी हुई है, इसी दिन भगवान् कृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था इससे इसका महत्व और बढ़ जाता है। इस दिन से गीता-पाठ का अनुष्ठान शुरू करना भी शुभ माना जाता है।

यह थी मोक्षदा एकादशी कथा। आशा करता हूँ यह आपको पसंद आई होगी। अगर आपके कोई प्रश्न हों तो हमसे जरूर पूछें।

(Disclaimer: The material on this website provides information about Hinduism, its traditions and customs. It is for general knowledge and educational purposes only.)

Leave a Comment

error: Content is protected !!